Thursday, July 10, 2025
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बिहार: तेजस्वी बनाम चिराग – नई पीढ़ी के दो ध्रुव

(मनोज कश्यप)

बिहार की सियासत में एक बार फिर युवा नेतृत्व के दो बड़े चेहरे आमने-सामने नजर आ रहे हैं – एक तरफ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, तो दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान। दोनों ही नेताओं की राजनीतिक विरासत बेहद मजबूत रही है, लेकिन अब राज्य की सत्ता की दिशा तय करने के लिए एक नई टक्कर की पटकथा लिखी जा रही है।

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🔴 राजनीतिक विरासत से आगे की जंग

तेजस्वी यादव जहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पुत्र हैं, वहीं चिराग पासवान स्वर्गीय रामविलास पासवान, एक कद्दावर दलित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री, के बेटे हैं। दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने दलों में पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन अब वे खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करने लगे हैं।

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🟢 चुनावी कामयाबी और संगठन पर पकड़

तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को सबसे बड़ी पार्टी बना दिया था, लेकिन सत्ता से कुछ कदम दूर रह गए। वहीं, चिराग ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा धमाका करते हुए लोजपा (आरवी) को पांच में पांच सीटों पर विजय दिलाई और खुद को एनडीए सरकार में फिर से मंत्री बनवा लिया।

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🟣 ‘भाई-भतीजावाद’ बनाम ‘नेतृत्व विस्तार’

तेजस्वी यादव ने हाल ही में एनडीए नेताओं पर भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया, लेकिन खुद आरजेडी के परिवारवादी ढांचे पर सवाल उठते रहे हैं। दूसरी ओर, चिराग पासवान ने अपने बहनोई अरुण भारती को जमुई से सांसद बनवा दिया और दूसरे बहनोई मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनते देखा – हालांकि चिराग इन नियुक्तियों को “योग्यता आधारित” करार देते हैं।

तेजस्वी और लालू परिवार में खुद साधु यादव और सुभाष यादव जैसे रिश्तेदारों की दूरियां और राजनीतिक हाशिए पर जाना इस विषय को और पेचीदा बनाते हैं।

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🟠 2025 की दिशा: विधानसभा की चुनौती

चिराग ने हाल ही में ऐलान किया कि वे 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह सीधा संकेत है कि वे अब सिर्फ केंद्र नहीं बल्कि बिहार की सत्ता में सीधी दावेदारी करने को तैयार हैं।
लोजपा (आरवी) के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, चिराग के करीबी अरुण भारती न केवल पार्टी की रणनीति तैयार करने में लगे हैं, बल्कि बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं।

तेजस्वी पहले से ही बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं, लेकिन चिराग के सक्रिय होने से मुकाबला अब ‘तेजस्वी बनाम चिराग’ की शक्ल लेने लगा है – एक सामाजिक न्याय की राजनीति से निकला चेहरा, दूसरा विकास और नए नेतृत्व का प्रतीक।

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🔵 निष्कर्ष: क्या बिहार अब दो युवा चेहरों के बीच बंटेगा?

बिहार में पहली बार ऐसा माहौल बन रहा है जहां दो युवा नेता – तेजस्वी यादव और चिराग पासवान – एक-दूसरे के समानांतर राजनीतिक ध्रुव के रूप में उभर रहे हैं।
जहां तेजस्वी अब तक लालू की विरासत के सबसे मजबूत उत्तराधिकारी के रूप में माने जाते रहे हैं, वहीं चिराग खुद को रामविलास से आगे, एक नए युग के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।

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आगामी विधानसभा चुनाव इस बात का निर्णायक मोड़ हो सकते हैं कि क्या बिहार एक बार फिर जातीय समीकरणों में उलझेगा या फिर नई पीढ़ी के नेताओं की नीतिगत प्रतिस्पर्धा में राज्य की राजनीति को एक नया दिशा मिलेगी।

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