पटना।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी तापमान तेज़ी से चढ़ रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने साफ संकेत दिए हैं कि पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव को ही आगे करने की रणनीति पर काम कर रही है। हाल ही में संपन्न हुई राजद की राज्य परिषद की बैठक में राज्य भर से आए वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस बात का स्पष्ट संकल्प लिया कि आगामी चुनावों में तेजस्वी यादव पार्टी के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख चेहरा होंगे।
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राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस बैठक में “2005 से 25” और “बहुत हुआ नीतीश” जैसे नारों के माध्यम से आगामी चुनाव के लिए पार्टी की सोच और दिशा स्पष्ट की। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी इस रुख को समर्थन देते हुए कहा, “अबकी हर हाल में तेजस्वी”, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि राजद नेतृत्व किसी प्रकार की असमंजस में नहीं है।
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महागठबंधन में सामंजस्य की चुनौती
हालांकि, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने को लेकर कांग्रेस समेत महागठबंधन के अन्य घटक दलों की ओर से औपचारिक सहमति नहीं मिल पाई है। लेकिन राजद द्वारा राज्य परिषद की बैठक और जनसंपर्क अभियानों के ज़रिए जिस प्रकार से तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाया जा रहा है, उसे गठबंधन पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
तेज प्रताप यादव की नाराज़गी आई सामने
इस बीच, राजद के भीतर ही नेतृत्व को लेकर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। पार्टी प्रमुख लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने नेतृत्व द्वारा स्वयं को लगातार नजरअंदाज़ किए जाने पर अप्रसन्नता जताई है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में तेज प्रताप ने तीखे शब्दों में संकेत दिए कि वे इस उपेक्षा को चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने लिखा,
“मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी मत समझना। शुरुआत तुमने की है, अंत मैं करूंगा। मेरी भूमिका मेरी प्यारी जनता और माननीय सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा, कोई दल या परिवार नहीं।”
तेज प्रताप यादव के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक राजद के भीतर गहराते अंतर्विरोध और संभावित असंतोष के संकेत के रूप में देख रहे हैं। यह भी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में तेज प्रताप कोई बड़ा राजनीतिक निर्णय ले सकते हैं।
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लालू प्रसाद की भूमिका महत्वपूर्ण
पार्टी के अंदर चल रही खींचतान और महागठबंधन में तेजस्वी यादव के नाम पर एकराय न बनने की स्थिति में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। लालू यादव को जहां एक ओर पार्टी के भीतर एकजुटता बनाए रखनी है, वहीं गठबंधन को भी साथ लेकर चलना है। उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर यह निर्भर करेगा कि राजद अगले विधानसभा चुनावों में किस तरह की रणनीति के साथ उतरता है और कितनी मज़बूती से सामने आता है।
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