बिहार के सबसे बड़े और सबसे पुराने सरकारी अस्पताल PMCH (पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में हाल ही में जो घटना घटी, उसने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। भाजपा नेता और यूट्यूबर मनीष कश्यप के साथ कथित मारपीट और बंधक बनाने की घटना के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या यह अस्पताल चिकित्सा सेवा का केंद्र है या कुछ डॉक्टरों की मनमानी और गुंडागर्दी का अड्डा बन गया है?
घटना का विवरण
घटना की शुरुआत 19 मई 2025 को हुई, जब मनीष कश्यप एक परिचित मरीज की मदद के लिए PMCH पहुंचे थे। उन्होंने अस्पताल में फैली अव्यवस्था, गंदगी और लापरवाही को देखकर उसका वीडियो बनाना शुरू किया। इसी दौरान एक महिला जूनियर डॉक्टर से उनकी बहस हो गई। इसके बाद, मनीष का आरोप है कि डॉक्टरों ने उन्हें बंधक बना लिया और बेरहमी से पीटा। उन्हें अंदरूनी चोटें आईं और सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उन्हें दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
डॉक्टरों का पक्ष
अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों का कहना है कि मनीष कश्यप ने महिला डॉक्टर के साथ अभद्रता की और बिना अनुमति वीडियो बनाकर अस्पताल की गोपनीयता का उल्लंघन किया। उनका कहना है कि वीडियो बनाना मरीजों की निजता का हनन है और इससे अस्पताल के कामकाज में बाधा आई। डॉक्टरों के अनुसार, मनीष ने उत्तेजक भाषा का प्रयोग किया जिससे हालात बिगड़े।
सबसे मजेदार बात पीएमसीएच के डॉक्टर ने जो सफाई दी है उसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता मनीष कश्यप ने महिला डॉक्टर से अभद्रता की। बिना अनुमति के वीडियो बनाने लगे। जो की इस अस्पताल में भर्ती मरीजों की निजता का हनन है।
कहीं भी इस अस्पताल के डॉक्टरो ने भाजपा नेता मनीष कश्यप द्वारा मारपीट करने का आरोप नहीं लगाया है। जबकि मनीष कश्यप को गंभीर अंदरूनी चोटे आई है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी वह पटना के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है। इन बातों को कोई झुठला नहीं सकता।
अस्पताल में वह कौन डॉक्टर लोग थे जिन लोगों ने कानून अपने हाथ में लिया? मनीष कश्यप से मारपीट की.
उन्हें मारपीट करने का अधिकार किसने दिया?
क्या PMCH में शिक्षा ग्रहण कर रहे प्रशिक्षणार्थी डॉक्टर में कुछ लोग अपराधी पृष्ठभूमि से भी हैं क्या इन बातों की भी जांच नहीं होनी चाहिए?
पुलिस और प्रशासन की हास्यास्पद भूमिका
मामले की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों के बयान लिए गए। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन पुलिस का कहना है कि जांच जारी है। हा मामला किसी पर भी दर्ज नहीं हुआ है।
वहीं, PMCH प्रशासन ने भी मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
जनता में नाराजगी
यह घटना सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर “Justice for Manish Kashyap” ट्रेंड करने लगा। आम जनता ने सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था और डॉक्टरों के व्यवहार पर गंभीर सवाल उठाए। कई लोगों ने मनीष कश्यप को सच दिखाने वाला बताते हुए उनका खुला समर्थन किया, तो कुछ ने नियमों की अनदेखी करने पर उनकी आलोचना भी की।
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि मरीजों की सुविधा और अस्पताल की गरिमा – दोनों के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी है। यदि मनीष ने अस्पताल के नियमों का उल्लंघन किया तो कानून अपना काम करे, लेकिन अगर उन पर हमला हुआ है, तो दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। डॉक्टरों को समाज की सेवा में लगे आदर्श के रूप में देखा जाता है, ऐसे में इस तरह की घटनाएं पूरे डाक्टर पेशे को बदनाम कर सकती हैं।
निष्कर्ष
PMCH में घटी यह घटना केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है। यह वक्त है जब राज्य सरकार को न केवल अस्पतालों की व्यवस्था सुधारनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि न मरीज डरे और न डॉक्टर। पारदर्शी जांच और सख्त कार्रवाई ही जनता का भरोसा बहाल कर सकती है।
और सबसे बड़ी बात तो सरकारी अस्पतालों में फैली अव्यवस्था है। जिसके सार्वजनिक होने का डर उस अस्पताल प्रबंधन को इतना डरा देता है, कि वे लोग इसे रोकने के लिए सरेआम खून खराबे पर उतर आते हैं। PMCH की घटना बदहाल, अव्यवस्थित, और निरंकुश PMCH अस्पताल की पोल खोलता है।