Monday, July 28, 2025
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बिहार कांग्रेस में सब ठीक-ठाक नहीं? राजेश कुमार और अखिलेश सिंह के बीच बढ़ती दूरियां

पटना, जुलाई 2025
बिहार कांग्रेस इन दिनों अंदरूनी उठा-पटक के दौर से गुजर रही है। नेतृत्व परिवर्तन के बाद से ही पार्टी में स्पष्ट रूप से दो धड़े बनते दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ हैं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, और दूसरी ओर हैं नव-नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार। सवाल उठ रहा है: क्या बिहार कांग्रेस में सब कुछ वाकई ठीक-ठाक है?

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नेतृत्व परिवर्तन की वजह से खिंचाव

मार्च 2025 में कांग्रेस आलाकमान ने अचानक ही डॉ. अखिलेश सिंह को हटाकर राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। राजेश कुमार दलित समुदाय से आते हैं और राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं।
हालांकि, पार्टी ने अखिलेश सिंह को “सम्मानजनक विदाई” देते हुए उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) का स्थायी आमंत्रित सदस्य बना दिया।

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लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह बदलाव सिर्फ प्रतीकात्मक सुलह है—नीतिगत और नेतृत्वगत मतभेद अब भी मौजूद हैं।

डॉ. अखिलेश सिंह की नाराज़गी दबे सुरों में

डॉ. सिंह भले ही सार्वजनिक रूप से कुछ न कह रहे हों, लेकिन उनके समर्थकों में असंतोष है।
पार्टी में यह चर्चा गर्म है कि अखिलेश सिंह को बिना परामर्श के हटाया गया और यह निर्णय जातिगत समीकरणों के दबाव में लिया गया।
हाल की एक बैठक में उन्होंने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन ज़रूर दिया, लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज और भाषण की टोन में खीझ साफ़ देखी गई।

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राजेश कुमार के सामने संगठनात्मक चुनौतियां

राजेश कुमार की नियुक्ति को कांग्रेस के दलित वोट बैंक को मज़बूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है—डॉ. अखिलेश सिंह के प्रभाव को नज़रअंदाज़ किए बिना संगठन को एकजुट करना।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, अब तक दोनों नेताओं के बीच कोई सामूहिक संगठनात्मक बैठक नहीं हुई है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि दोनों के बीच “औपचारिक दूरी” बनी हुई है।

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गठबंधन की राजनीति और सीटों का बँटवारा

बिहार में महागठबंधन की राजनीति भी इन मतभेदों से अछूती नहीं है।
कांग्रेस और RJD के बीच सीटों के बँटवारे को लेकर हुई हालिया बैठकों में दोनों नेताओं की अलग-अलग राय देखी गई।
राजेश कुमार आक्रामक रुख के साथ अधिक सीटों की मांग पर अड़े रहे, वहीं डॉ. सिंह का दृष्टिकोण समझौता आधारित बताया गया।

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क्या कांग्रेस दो धड़ों में बंटती जा रही है?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर यह स्थिति लंबी चली तो बिहार कांग्रेस दो खेमों में विभाजित हो सकती है:

राजेश कुमार गुट: युवा नेताओं और दलित आधार पर आधारित

अखिलेश सिंह गुट: वरिष्ठ नेताओं और परंपरागत कांग्रेस कार्यकर्ताओं के समर्थन वाला

बिहार कांग्रेस फिलहाल भीतर से एकजुट दिखने की कोशिश कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि संगठनात्मक समन्वय और नेतृत्व संतुलन की कमी साफ़ दिख रही है।
डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह और राजेश कुमार दोनों ही सक्षम नेता हैं, लेकिन जब तक दोनों एक मंच पर सार्वजनिक रूप से एकजुट नहीं होते, तब तक कांग्रेस के लिए 2025 के विधानसभा चुनावों में मज़बूत वापसी आसान नहीं होगी।

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