पटना | संवाददाता
राजधानी पटना में शनिवार देर रात हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड ने न सिर्फ शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि राज्य की सियासत को भी गरमा दिया है। गांधी मैदान थाना क्षेत्र स्थित रामगुलाम चौक के पास बिहार के प्रसिद्ध उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. गोपाल खेमका की अज्ञात अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
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घटना की पूरी कहानी
डॉ. खेमका देर रात किसी कार्य से अपनी गाड़ी से उतर रहे थे, तभी बाइक सवार दो हमलावरों ने उन्हें सिर समेत दो गोलियां मारीं। घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। पुलिस को मौके से दो खाली कारतूस मिले हैं। हत्या इतनी निकट से की गई कि बचने का कोई मौका नहीं था।
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कौन थे डॉ. गोपाल खेमका?
डॉ. गोपाल खेमका पटना के प्रमुख व्यवसायियों में से एक थे। उन्होंने मगध अस्पताल की शुरुआत की थी और फिर पेट्रोल पंप, कार्टन फैक्ट्री और अन्य उद्योगों में अपना व्यापार फैलाया। वह बीजेपी से भी जुड़े रहे और बांकीपुर क्लब के सचिव रह चुके थे। समाजसेवा में भी उनकी अहम भूमिका रही।
यह उल्लेखनीय है कि खेमका परिवार पहले भी अपराध का शिकार हो चुका है:
2018 में उनके बड़े बेटे गुंजन खेमका की हत्या कर दी गई थी।
छोटे बेटे पर भी पहले जानलेवा हमला हो चुका है।
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पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
घटना के डेढ़ से दो घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची, जिससे परिजनों और आम लोगों में भारी आक्रोश है। परिजनों ने बताया कि तत्काल सूचना देने के बावजूद पुलिस की कार्रवाई बेहद धीमी थी।
राजनीतिक बयानबाजी तेज
घटना के बाद विपक्ष ने कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला है।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा –
> “मुख्यमंत्री के नाक के नीचे अपराधियों ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया। यह अपराधी राज है।”
वहीं शक्ति यादव ने कहा –
“पटना में आम आदमी ही नहीं, अब बड़े उद्योगपति भी सुरक्षित नहीं हैं। सरकार फेल है।”
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SIT गठन, CCTV जांच जारी
बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने तत्काल इस हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है। सीटी सेंट्रल एसपी इस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। घटनास्थल के आस-पास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है और मोबाइल लोकेशन से हमलावरों की पहचान की कोशिश की जा रही है।
व्यापारिक जगत में भय और चिंता
लगातार हमलों ने खेमका परिवार और व्यापारिक समुदाय में असुरक्षा की भावना भर दी है। एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में व्यवसायियों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है?