स्वतंत्रता आंदोलन में विधायी परंपराओं की भूमिका और विठ्ठलभाई पटेल के योगदान पर रखा विचार
बिष्णु नारायण चौबे
भारत के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष वीर विठ्ठलभाई पटेल की शताब्दी वर्ष समारोह के अवसर पर दिल्ली विधानसभा में 24 और 25 अगस्त को दो दिवसीय ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कांफ्रेंस’ का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में बिहार विधान सभा अध्यक्ष श्री नन्द किशोर यादव और प्रभारी सचिव डॉ. ख्याति सिंह ने भाग लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने किया, जबकि अध्यक्षता दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने की। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता समेत देशभर की विधान सभाओं एवं विधान परिषदों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभापति-उप सभापति उपस्थित रहे।
स्वतंत्रता आंदोलन और विधान परंपराओं पर विचार
सम्मेलन के पहले दिन 24 अगस्त को आयोजित सत्र में बिहार विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव ने “स्वतंत्रता आंदोलन और सामाजिक सुधारों में स्वतंत्रता-पूर्व केन्द्रीय विधानमंडलों के राष्ट्रवादी नेताओं की भूमिका” विषय पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि 1919 के भारत सरकार अधिनियम के तहत 1921 में बनी केन्द्रीय विधान सभा ने ही आगे चलकर भारतीय लोकतंत्र की नींव रखी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रवादी नेताओं ने इस विधान सभा का उपयोग उपनिवेशवादी शासन का विरोध करने और जनता की आवाज बुलंद करने के लिए किया। इसमें विधायी संघर्ष, सामाजिक सुधारों की पहल, इस्तीफों की रणनीति और बिहार की विशेष भूमिका जैसी ऐतिहासिक परंपराएं शामिल थीं।
विठ्ठलभाई पटेल को दी श्रद्धांजलि
सम्मेलन के दूसरे दिन 25 अगस्त को “विठ्ठलभाई पटेल : भारत के संविधान और विधायी संस्थाओं को आकार देने में भूमिका” विषय पर बोलते हुए श्री यादव ने कहा कि विठ्ठलभाई पटेल ने भारतीय विधायिका को न केवल वैधानिक रूप दिया, बल्कि इसे लोकतंत्र की आत्मा और प्रतिनिधियों के विवेक की अभिव्यक्ति का मंच बनाया।
उन्होंने बताया कि पटेल ने अपने कार्यकाल में अध्यक्ष की गरिमा, निष्पक्षता और विवेकशील नेतृत्व की मिसाल कायम की। उन्होंने सत्ता और विपक्ष दोनों को समान अवसर देने की परंपरा स्थापित की।
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श्री यादव ने कहा कि आज जब देश डिजिटल सशक्तिकरण, ई-विधान, महिला विधायकों की भागीदारी और विधायकों के प्रशिक्षण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो यह जरूरी है कि सभी जनप्रतिनिधि सदन की गरिमा और अध्यक्षीय8 नेतृत्व का सम्मान बनाए रखें।
विठ्ठलभाई पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा—“मर्यादा में रहकर विमर्श और विमर्श में रहकर निर्माण ही उनके नेतृत्व का सार था।”