Sunday, October 13, 2024
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चाचा भतीजे की लड़ाई में भतीजे ने मारी बाजी,चाचा चित

चाचा भतीजे की लड़ाई में भतीजे ने मारी बाजी,चाचा चित

बिहार में राजनीतिक विरासत की लड़ाई का चौंकानेवाला अंत हुआ है। स्व राम विलास पासवान जी की मृत्यु के बाद हुए राजनीतिक घटनाक्रम में राम विलास पासवान जी के पुत्र और लोक जन शक्ति(राम विलास) के बेटे चिराग पासवान को बड़ा झटका तब लगा था जब उनके सगे चाचा पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के पांच सांसदों के साथ मिलकर लोजपा पर ही कब्जा कर लिया था।पार्टी तोड़ने के बाद खुद मोदी सरकार में मंत्री बन गए और भतीजे को अकेला छोड़ दिया।

लेकिन भतीजे चिराग पासवान ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार बिहार का दौरा करते रहे।इन्होंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट अभियान चलाया और बिहार की जनता से जुड़ने का काम जारी रखा।चिराग पासवान की इस पहल का सकारात्मक असर हुआ और वो अपने पिता की राजनीतिक जमीन को हासिल करने के साथ ही युवाओं की पसंद बन गए।

लोकसभा चुनावों की आहट के बीच जब एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे की बात चली तो चिराग पासवान मजबूती से अपने दावे पर अड़े रहे।उन्होंने 2019 के चुनाव की बात करते अपने दल के लिए हाजीपुर की सीट और पार्टी के लिए 6 सीटों की डिमांड जारी रखी।इधर चाचा पशुपति कुमार पारस मंत्री पद पाकर मस्त थे और यह दावा करते रहें की वो हाजीपुर से ही लड़ेंगे और उनके सारे सिटिंग एमपी को टिकट भी मिलेगा।

भाजपा नेतृत्व चाचा भतीजे में सुलह की कोशिश करते रहे पर चिराग अपनी शर्तों से एक इंच खिसकने को तैयार नहीं हुए।आखिरकार भाजपा नेतृत्व ने चिराग की लोकप्रियता और इंटरनल सर्वे के आधार पर चिराग के पक्ष में फैसला सुनाया और चाचा पशुपति कुमार पारस खाली हाथ लौटे।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चिराग पासवान की लोजपा पांच सीटों पर चुनाव लडेगी जिसमें राम विलास पासवान जी की सीट हाजीपुर भी शामिल है।चर्चा यह भी है की एक राज्यसभा सीट या उनके चहेते लोजपा प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को बिहार कैबिनेट में शामिल करने में भी भाजपा राजी हो गई है।

उधर अटकलों के बीच पशुपति कुमार पारस और उनके भतीजे प्रिंस राज ने मीडिया को यह बताया की वो एनडीए नहीं छोड़ रहे हैं।

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