Friday, November 14, 2025
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अनाथ बच्चों को मिला मातृत्व-पितृत्व का दुलार: पटना से पश्चिम बंगाल तक फैला मानवता का सेतु

आज का दिन पटना जिला के लिए बेहद खास और भावनात्मक रहा। जिलाधिकारी पटना त्यागराजन एम इस के समक्ष महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित दत्तकग्रहण मार्गदर्शिका 2022 के अंतर्गत एक बालक को अरुणोदय संस्थान से गोद लिया गया। यह छोटा बालक अब पश्चिम बंगाल के एक दंपति के घर नई खुशियों की दस्तक देने जा रहा है। जिलाधिकारी की उपस्थिति में यह दत्तक ग्रहण प्रक्रिया पूरी हुई, जिसमें क़ानूनी पारदर्शिता के साथ मानवीय संवेदनाओं की भी झलक देखने को मिली।

पटना जिला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले के 6 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 18 बच्चे दत्तकग्रहण की प्रक्रिया से जुड़ चुके हैं। पिछले तीन वर्षों में ज़िले से कुल 79 बच्चों को गोद लिया गया है — जिनमें 65 को देश के भीतर और 14 को अंतर्राष्ट्रीय परिवारों से जोड़ा गया। इनमें 39 बालिकाएं भी शामिल हैं जिन्हें अब माता-पिता का स्नेह और संरक्षण प्राप्त हो रहा है।

यह बदलाव एक बड़ी क़ानूनी पहल के कारण संभव हो पाया है। पूर्व में जहां दत्तक प्रक्रिया फैमिली कोर्ट के माध्यम से जटिल थी, वहीं अब किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 में संशोधन कर इसे जिलाधिकारी की निगरानी में सरल और संवेदनशील बनाया गया है।

जिलाधिकारी पटना ने इस अवसर पर भावुक होते हुए कहा, “ऐसे बच्चे जिनके सर से माता-पिता की छाया उठ गई है, उन्हें जीवन में दोबारा खुशियों और संरक्षण की छांव देना ही हमारी सच्ची सेवा है। जिला प्रशासन ऐसे सभी दंपतियों के साथ है जो किसी अनाथ बच्चे का नया सहारा बनना चाहते हैं।”

इसके साथ-साथ प्रशासन ने जनता से यह भी अपील की है कि बच्चे को हमेशा केवल कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत ही गोद लें। सार्वजनिक स्थलों जैसे रेलवे स्टेशन, अस्पताल या बस स्टैंड से किसी बच्चे को गोद लेना न केवल अवैध है बल्कि गंभीर दंडनीय अपराध भी है। बिना विधिसम्मत प्रक्रिया के किसी अनाथ या परित्यक्त बच्चे को गोद लेना/देना तीन साल तक की सजा या ₹1 लाख जुर्माना या दोनों का कारण बन सकता है। इसके अलावा बच्चे की खरीद-फरोख्त पर 5 वर्ष तक का कठोर कारावास एवं आर्थिक दंड का प्रावधान है।

यदि किसी को कोई अनाथ, परित्यक्त या खोया हुआ बच्चा मिले, तो तुरन्त चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, आपात हेल्पलाइन 112, या नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करें। जानकारी छिपाना स्वयं एक अपराध है, जिसकी सजा छह महीने कैद या ₹10,000 जुर्माना या दोनों हो सकता है।

यह खबर केवल एक दत्तक प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, सहयोग और जिम्मेदारी की भावना के पुनर्जागरण का प्रतीक है। आइए, हम सब मिलकर ऐसे प्रयासों का हिस्सा बनें और एक मुस्कुराते हुए बचपन को नया भविष्य दें।

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