बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA में सीट शेयरिंग पर सहमति, BJP–JDU बराबरी पर, LJP को आधा हिस्सा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर NDA के अंदर सीट बंटवारे की गहमागहमी अंतिम चरण में है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों ने बराबरी पर चुनाव लड़ने का रुख अपनाया है, जबकि चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) को उनकी मांग से आधी सीटें मिलने की संभावना हैं।
NDA में सीट शेयरिंग का मौजूदा फॉर्मूला
BJP–JDU: 243 सीटों में से 100–105 सीटों पर बराबरी से लड़ने पर सहमति।
LJP (रामविलास): 40 सीटों की मांग की, लेकिन लगभग 20 सीटें मिलने की संभावना।
हम (सेक्युलर) + RLSP/आरएलएम: दोनों मिलकर लगभग 6–7 सीटें पा सकते हैं।
पिछली बार चिराग पासवान की LJP ने NDA से अलग होकर 135 सीटों पर लड़ाई लड़ी थी, लेकिन सिर्फ 1 सीट जीत पाई थी।
बातचीत और घोषणा की समय-सीमा
NDA के शीर्ष नेताओं की अंतिम बैठक जल्द होगी।
सीट बंटवारे का आधिकारिक ऐलान चुनाव अधिसूचना (सितंबर-अक्टूबर) के साथ किया जाएगा।
इस बार NDA चाह रहा है कि सीट बंटवारे का विवाद चुनावी नुकसान में न बदल जाए।
तुलनात्मक सियासी समीकरण
पहलू 2020 विधानसभा चुनाव 2025 विधानसभा चुनाव (संभावित)
BJP सीटें 121 ~100–105
JDU सीटें 115 ~100–105
LJP (RV) NDA से अलग, 135 पर लड़ा, 1 जीता NDA के साथ, ~20
HAM + RLSP/RLM NDA के साथ, कुछ सीटें ~6–7 सीटें
VIP महागठबंधन के साथ, बाद में NDA में, इस बार भूमिका स्पष्ट नहीं
चुनौतियाँ और समीकरण
जेडीयू का दबाव: नीतीश कुमार की पार्टी 100 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं।
BJP की रणनीति: बराबरी पर अडिग रहना और बड़े भाई की छवि छोड़ना।
LJP (आरवी) की खींचतान: 40 सीटों की मांग को पूरी तरह मानना असंभव, लेकिन बाहर रखना NDA के लिए जोखिम।
छोटे दलों की भूमिका: हम और कुशवाहा का दल जातीय समीकरण साधने में मदद करेंगे।
NDA इस बार “बराबरी और संतुलन” की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। 2020 में बीजेपी के बड़े भाई बनने की रणनीति से जेडीयू की सीटें कम हुईं और आंतरिक खींचतान बढ़ी थी। अब दोनों दल लगभग बराबर सीटों पर लड़कर जातीय समीकरण और गठबंधन की मजबूती को साधना चाहते हैं।
चिराग पासवान की LJP (रामविलास) NDA के लिए दोहरी चुनौती है—उन्हें ज्यादा सीटें देने से बीजेपी-जेडीयू असंतुष्ट होंगे, और कम सीटें देने पर पासवान असहज हो सकते हैं। इसके बावजूद NDA उन्हें साथ रखकर महागठबंधन के खिलाफ व्यापक गठजोड़ दिखाना चाहता है।
छोटे दलों को सीमित लेकिन सम्मानजनक हिस्सेदारी देकर NDA यह संदेश देना चाहता है कि यह गठबंधन केवल दो बड़े दलों का नहीं बल्कि बहुवर्गीय प्रतिनिधित्व वाला फ्रंट है।