बेगूसराय।
अजय कुमार
बिहार की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले बेगूसराय जिले में जहां बरौनी रिफाइनरी (IOCL), HURL यूरिया प्लांट, NTPC बरौनी थर्मल पावर प्लांट, और निजी क्षेत्र की वरुण बेवरेज (पेप्सी कोला प्लांट) जैसी बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ संचालित हैं, वहीं दूसरी ओर यहाँ के आम नागरिक अब भी खंडित और असमान विद्युत आपूर्ति की मार झेलने को मजबूर हैं।
यह विडंबना ही है कि जिस जिले में NTPC बरौनी जैसी देश की प्रमुख विद्युत उत्पादन कंपनी स्थित है, उसी जिले के लोगों को बरसों से नियमित और स्थायी बिजली आपूर्ति का सपना पूरा नहीं हुआ।
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गर्मी और कटौती का दोहरा संकट
सितंबर की उमस भरी रातें और दोपहर की झुलसाती गर्मी, ऊपर से अचानक बिजली गुल — यह स्थिति बेगूसरायवासियों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं। लोग कहते हैं कि “बिजली संयंत्र तो यहीं है, लेकिन अंधेरे में हम हैं।”
जब दोपहर के वक्त पंखा और कूलर बंद हो जाएं या आधी रात को उमस भरी घड़ी में बिजली कट जाए, तो बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बेहाल हो जाते हैं।
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मोहल्लों की तस्वीर
चाहे सर्वोदयनगर, चाणक्य नगर, बिशनपुर, प्रोफेसर कॉलोनी, विश्वनाथ नगर, त्रिपुरा इटवा, डुमरी, रतनपुर, इघु, मुंगेरीगंज, लोहिया नगर, हररख, वाघा, बाघी, खातोपुर हो — हर जगह की कहानी एक जैसी है। मोहल्लों में रहने वाले लोग बार-बार एक ही सवाल दोहराते हैं कि “औद्योगिक बिजली उत्पादन तो यहीं से पूरे राज्य और देश में जा रहा है, लेकिन हम बेगूसरायवासी कब तक टिमटिमाते बल्ब और जनरेटर पर निर्भर रहेंगे?”
औद्योगिक विकास बनाम स्थानीय उपेक्षा
बेगूसराय का औद्योगिक परिदृश्य किसी गौरव से कम नहीं है। यहाँ से तेल, खाद और बिजली की आपूर्ति पूरे बिहार ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में होती है। लेकिन सवाल यह है कि जब इतना बड़ा उत्पादन केंद्र यहीं है तो बेगूसराय की जनता अब तक सतत और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति से वंचित क्यों है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि उत्पादन और वितरण प्रणाली के बीच तालमेल की कमी, पुराना वितरण नेटवर्क और प्रशासनिक उदासीनता इसके मूल कारण हैं।
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