Wednesday, November 5, 2025
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बख्तियारपुर 180 चुनाव में कांटे की टक्कर, एनडीए-महागठबंधन की फाइट में जनसुराज ने अड़ाई टांग

बिष्णु नारायण चौबे

पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल का एक प्रखंड है बख्तियारपुर।इसी बख्तियारपुर के नाम पर 180 संख्या की विधानसभा क्षेत्र भी है बख्तियारपुर। इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पटना जिले का खुसरूपुर और दनियावां प्रखंड आता है।यह राजधानी पटना से 46 किलोमीटर पूर्व में स्थित है, जबकि बाढ़, जो अनुमंडल मुख्यालय है, मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है।

बख्तियार शहर की उत्तर दिशा में पवित्र गंगा नदी इसके पास से बहती है।दियारा के पांच पंचायत बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में शामिल है।इतिहास के अवलोकन से पता चलता है कि आज के बख्तियारपुर की स्थापना 1203 ईस्वी में बंगाल विजय के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने की थी।यही बख्तियार खिलजी ने नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों को नष्ट किया था।

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पिछले 800 वर्षों से यह नगर इसी विवादित इतिहास के साथ जुड़ा रहा है। हालांकि बख्तियारपुर के नाम बदलने को लेकर समय समय पर स्थानीय लोगों ने मांग की है और संघर्ष भी किया है।लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर के नाम बदलने की मांगों को हमेशा खारिज किया है।विदित हो कि बख्तियारपुर नीतीश कुमार का जन्मस्थान है। लेकिन बख्तियारपुर ने कभी नीतीश कुमार का साथ नहीं दिया है।

बख्तियारपुर का मिजाज हमेशा से ही सत्ता विरोधी रही है।बख्तियारपुर को 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित किया गया था।तब से यहां 18 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।पहले बख्तियारपुर बाढ़ लोकसभा क्षेत्र में आता था।परिसीमन के बाद बाढ़ का अस्तित्व समाप्त हो गया और यह पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अधीन आ गया।

1952 से 1990 के बीच हुए 11 में से 10 चुनाव कांग्रेस ने जीते, लेकिन उसके बाद से उसका प्रभाव समाप्त हो गया। 2000 के बाद से यहां भाजपा और राजद के बीच मुकाबला होता रहा है।दोनों पार्टियों ने अब तक तीन-तीन बार यह सीट जीती है।अगर पिछले रुझान का आंकलन किया जाय तो इस बार जीत की बारी भाजपा की थी।

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लेकिन विधानसभा चुनाव 2025 में बख्तियारपुर सीट को भाजपा ने अपने सहयोगी घटक लोजपा (रामबिलास) की झोली में डाल दी है। शायद भाजपा ने 2000 के विधानसभा चुनाव परिणाम और गत लोकसभा चुनाव परिणाम से डर गई और सीट पर अपना दावा तक नहीं किया।

2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने इस सीट पर 20,672 वोटों से जीत दर्ज की थी।वहीं, 2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस ने बख्तियारपुर विधानसभा में 9,941 वोटों की बढ़त ली और अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रही।बख्तियारपुर में भाजपा ने अनुसूचित जाति के मतदाताओं, जो कुल मतदाताओं का 21.01 प्रतिशत हैं, में पैठ बनाने के लिए शायद इस सीट को लोजपा को सौंप दी।

बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में शहरी मतदाता 15.45 प्रतिशत हैं,जो माना जाता है वे पारंपरिक रूप से भाजपा के साथ हैं।इसके अतिरिक्त एक बड़ी संख्या स्वर्ण मतदाताओं की है जिनकी झुकाव हमेशा से भाजपा की ओर रही है।इस चुनाव में यहां भाजपा को ही उन लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं को भी सक्रिय करना होगा, जिन्होंने 2020 में मतदान नहीं किया था।

अब जरा हालिया स्थिति पर गौर कीजिए।आसन्न चुनाव में राजद के सिटिंग विधायक अनिरुद्ध कुमार यादव, एनडीए से लोजपा(आर) से अरुण कुमार उर्फ अरुण कुमार साव,जनसुराज से पूर्व एमएलसी बाल्मीकि सिंह प्रमुख उम्मीदवार हैं।

अरुण कुमार टिकट मिलने तक भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की हैसियत में थे। लोग इन्हें अरुण मुखिया के नाम से भी जानते हैं। इनकी पत्नी फिलहाल बख्तियारपुर पश्चिमी से जिला परिषद की सदस्य हैं।अरुण जिला 20 सूत्री के भी सदस्य हैं। अब ये लोजपा के सदस्य माने जाएंगे। एनडीए आज की डेट में एकजुट नहीं दिख रही है।

एक बड़ा तबका का मानना है कि बख्तियारपुर में राजद विधायक को कोई टक्कर दे सकता है तो वो रणविजय सिंह उर्फ लल्लू मुखिया ही है। बहरहाल देखना होगा कि एनडीए में रसूखदार भाजपा यहां अपने सभी कार्यकर्ताओं को कैसे एकजुट कर ऊर्जा प्रदान करती है।

वैसे देखा जाय तो भाजपा ने इस चुनाव में एक दूर की चाल चली है।संगठन जिला बाढ़ में चार विधानसभा क्षेत्र है।इसमें मोकामा, बाढ़,बख्तियारपुर और फतुहा शामिल है। मोकामा से भूमिहार, बाढ़ से राजपूत, बख्तियारपुर से अति पिछड़ा(कानू) एवं फतुहा से पिछड़ा(यादव) को राजग ने टिकट देकर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है। इस समीकरण को साधने में भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा की महत्ती भूमिका रेखांकित की जा रही है।

बहरहाल बख्तियारपुर की राजनीति, इतिहास, जातीय समीकरण और सामयिक रणनीतियों का एक दिलचस्प संगम है, जो आगामी चुनाव में और भी रोमांचक रूप ले सकती है।

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