जगदीश धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति की कुर्सी खाली, भाजपा बिहार से चला सकती है ‘नरम रणनीति’ — क्या नितीश कुमार इस कड़ी में अगला नाम है?
देश के उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पिछले कुछ महीनों से उनकी गिरती स्वास्थ्य स्थिति चर्चा में थी, और अब उनके त्यागपत्र के साथ देश की दूसरी सबसे ऊंची संवैधानिक कुर्सी खाली हो चुकी है।
धनखड़ के अचानक हटने से देश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है, और भाजपा एक रणनीतिक नाम पर विचार कर रही है जो विपक्ष को मजबूरन समर्थन के लिए बाध्य कर दे। चर्चाएं यह भी तेज हैं कि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भाजपा उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। परंतु इससे इतर एक और नाम चर्चा में है—बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार।
2017 और 2022 के उपराष्ट्रपति चुनावों के दौरान भी नितीश कुमार का नाम हवा में था। अगस्त 2022 में भाजपा नेता सुषिल कुमार मोदी ने दावा किया था कि जेडीयू के कुछ नेताओं ने भाजपा से संपर्क कर नितीश को उपराष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव दिया था, ताकि वे दिल्ली चले जाएं और बिहार में कोई अन्य मुख्यमंत्री बन सके।
हालांकि, खुद नितीश कुमार ने इन दावों को उस दौरान”बोगस और हास्यास्पद” बताया था और कहा था कि उनकी उपराष्ट्रपति बनने की कोई इच्छा नहीं है। तब जेडीयू नेताओं ने भाजपा विधायक की टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए दोहराया था कि नितीश 2025 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
लेकिन इस बार भी राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि यदि विपक्ष एकमत नहीं हो सका, और भाजपा एक “सहज विपक्षी चेहरा” खड़ा करना चाहे तो नितीश कुमार जैसे अनुभवी नेता के नाम पर सहमति बन सकती है।
भाजपा की रणनीति और बिहार में लाभ
यदि नितीश कुमार उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो भाजपा के लिए यह बहु-स्तरीय राजनीतिक लाभ की स्थिति हो सकती है:
1. बिहार में भाजपा को नेतृत्व स्थापित करने का खुला मौका मिलेगा, जहां अभी वह जेडीयू के समर्थन से सत्ता में है।
2. जेडीयू में नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे भाजपा को गठबंधन के भीतर अपना प्रभुत्व बढ़ाने का मौका मिलेगा।
3. आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भाजपा अपने मुख्यमंत्री चेहरे को स्थापित करने और सत्ता में वापसी की दिशा में कदम आगे बढ़ा सकेगी।