पटना, 18 सितंबर 2025।
नगर निकायों से जुड़े अधिकारों और सुविधाओं को लेकर आज राजधानी पटना में एक महत्वपूर्ण प्रेस मीट का आयोजन किया गया। इस बैठक में विभिन्न नगर निकायों के पदाधिकारियों और वार्ड पार्षदों ने सरकार के सामने अपनी प्रमुख मांगें और समस्याएं रखीं। बैठक में सफाई व्यवस्था, भत्ते, स्थानीय राजस्व, जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा और योजनाओं के क्रियान्वयन जैसे अहम मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए।
प्रमुख मुद्दे और मांगें
साफ-सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन
नगर निकायों को सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन का अधिकार फिर से देने तथा इससे जुड़ा विभागीय आदेश वापस लेने की मांग की गई। साथ ही बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 217 और 221 को लागू करने पर जोर दिया गया।
भूमि स्वामित्व
सरकारी भूमि का स्वामित्व संबंधित नगर निकाय को स्थानांतरित किए जाने की मांग उठी।
योजना संचालन
किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी योजना को लागू करने से पहले संबंधित नगर निकाय से अनुमति अनिवार्य करने की बात कही गई।
भत्ता और सुविधाएं
मुख्य पार्षद, उपमुख्य पार्षद और वार्ड पार्षदों का भत्ता वर्तमान ₹1,000 से ₹12,000 तक है। इसे बढ़ाकर सम्मानजनक स्तर तक ले जाने की मांग की गई, ताकि उनकी स्थिति पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों के बराबर हो सके।
स्थानीय राजस्व में हिस्सा
बिजली विभाग द्वारा वसूले गए राजस्व पर 2% सेस संबंधित नगर निकाय को दिए जाने की मांग सामने आई।
सुरक्षा व्यवस्था
जनप्रतिनिधियों के साथ हो रही हिंसक घटनाओं को देखते हुए उन्हें आग्नेयशस्त्र अनुज्ञप्ति सरलता से देने और मुख्य पार्षद/सभापति को अंगरक्षक उपलब्ध कराने की मांग की गई।
लाइट खरीद पर रोक हटे
नगर निकायों में लाइट खरीद पर लगी रोक हटाकर पूर्व नियम लागू करने पर जोर दिया गया।
फाइल अनुमोदन प्रक्रिया
पंचायत की तर्ज पर निकाय स्तर पर भी निर्णय जनप्रतिनिधियों की सहमति से लेने की मांग रखी गई।
बैठक में सर्वसम्मति
बैठक में वार्ड पार्षदों ने सभी मुद्दों पर एकमत होकर सरकार से इन मांगों को लागू करने का समर्थन किया। परिषद के अध्यक्ष ने अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए बैठक संपन्न करने की घोषणा की।
यह प्रेस मीट नगर निकायों के अधिकार, जनप्रतिनिधियों की स्थिति और कर्मचारियों की सुविधाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई। निकाय प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि स्थानीय निकायों को मजबूत किए बिना विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं है।