“मांझी के व्यंग्यबाण से गरमाई सियासत: चारा और भाईचारा पर तंज, चुनावी माहौल में तीखी होती जुबानी जंग”
बिहार की राजनीति में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का तापमान चढ़ता जा रहा है, नेताओं के बयान और सोशल मीडिया पोस्ट भी उतने ही तीखे और व्यंग्यात्मक होते जा रहे हैं। ताज़ा मामला केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी के X (पूर्व Twitter) हैंडल से सामने आया है, जहाँ उन्होंने एक राजनीतिक कार्टून साझा किया है, जो बिहार की चुनावी राजनीति में हलचल मचा रहा है।
मांझी की पोस्ट में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मुकुट में दिखालाया गया है, जो इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस में नेतृत्व वंशवादी परंपरा से ही तय होता है। वहीं दूसरी ओर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर तीखा व्यंग्य करते हुए, लालू को यह कहते दिखाया गया है,
“बेटा, हम तो बस चारा खाए थे, तुम तो समाज का भाईचारा ही खा जाओगे।”
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सत्ता पक्ष मुस्कराया, विपक्ष भड़का
इस पोस्ट ने बिहार की सत्तारूढ़ एनडीए खेमे को जहाँ एक प्रचार का नया हथियार दे दिया है, वहीं विपक्षी महागठबंधन के नेताओं की भौंहें तन गई हैं। मांझी के इस व्यंग्य में न केवल आरजेडी की राजनीतिक विरासत पर सवाल उठाया गया है, बल्कि तेजस्वी यादव की छवि को भी घेरने की कोशिश की गई है।
भाजपा-जदयू नेताओं ने मांझी की इस पोस्ट को “सटीक और प्रासंगिक” करार देते हुए सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया है, जबकि राजद-कांग्रेस खेमे में इसे “निम्न स्तरीय राजनीति” करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही हैं।
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विधानसभा चुनाव की आहट और जुबानी जंग
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे, इस तरह की राजनीतिक कार्टूनबाज़ी, कटाक्ष और सोशल मीडिया तंज का दौर और तेज़ होगा। यह पोस्ट सिर्फ एक तंज नहीं, बल्कि यह संकेत भी है कि इस बार का चुनाव जमीनी मुद्दों से ज़्यादा सोशल नैरेटिव और छवि-निर्माण की लड़ाई बनने जा रहा है।
राजनीतिक संवाददाता अजय कुमार कहते हैं,
“राजनीतिक व्यंग्य अब रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं। यह जनता के मन में धारणा बनाने का नया तरीका है। मांझी का पोस्ट उसी कड़ी में देखा जाना चाहिए।”
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विपक्ष के लिए दोहरी चुनौती
जहाँ एक ओर महागठबंधन को भाजपा और उसके सहयोगियों के हमलों का सामना करना है, वहीं दूसरी ओर, खुद के भीतर गुटबाज़ी और नेतृत्व के सवाल भी चुनौती बने हुए हैं। मांझी के कार्टून में “भाईचारा खाने” की बात करके जिस सामाजिक समीकरण की ओर संकेत किया गया है, वह राजद के सामाजिक आधार के लिए गंभीर संदेश हो सकता है।
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बिहार में राजनीति कभी भी सीधी नहीं रही। यहां तंज, मज़ाक, कटाक्ष और प्रतीकों की भाषा में बड़ी बात कही जाती है। मांझी का यह पोस्ट न केवल विपक्ष पर हमला है, बल्कि आने वाले चुनावों में सांकेतिक राजनीति और सोशल मीडिया वॉरफेयर का ट्रेलर भी माना जा सकता है। जनता के बीच कौन कितना विश्वसनीय है और किसका तंज असरदार, यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे – मगर अभी तो लड़ाई “चारा बनाम भाईचारा” पर गर्म होती दिख रही है।