पटना जंक्शन पर 23 अगस्त की सुबह साधारण सी लगने वाली हलचल अचानक हंगामे में बदल गई। कोटा-पटना एक्सप्रेस से यात्रा कर रही रेणु देवी के जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी सामने थी—उनका छह महीने का बच्चा देवांश राज उर्फ आर्यन अचानक गायब हो गया था।
कोटा से साथ में ट्रेन में चढ़े एक युवक ने रेणु देवी से पहले बातचीत करता हुआ उनका विश्वास जीता, जो दिखने में आम-सा यात्री लग रहा था, विश्वास जीतता गया और फिर मौका मिलते ही उस महिला का छ माह का बेटा देवांश को अपनी गोद में लेकर भीड़ के बीच गायब हो गया। कुछ पल पहले तक निश्चिंत मां अब स्टेशन पर बेबस थी—आंखों में बस एक ही सवाल, “मेरा बच्चा कहां है?”
पुलिस की रणनीति और त्वरित कार्रवाई
माजरा देख कर और थोड़ी देर में समझ कर रेल थाना पटना जंक्शन की पुलिस टीम तुरंत हरकत में आई। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, संदिग्ध की हर गतिविधि पर नज़र रखी गई, और तकनीकी जांच शुरू हुई। जांच में एक भयानक सच सामने आया। यह कोई साधारण अपहरण नहीं बल्कि बच्चों की चोरी और मानव तस्करी करने वाले संगठित गिरोह का हिस्सा था।
लगातार छापेमारियों और खुफिया सूचनाओं के बाद मामला खुलने लगा। बिहार पुलिस ने इस गिरोह से जुड़े 8 अपराधियों को धर दबोचा। जांच में यह चौंकाने वाला सच सामने आया कि देवांश को पटना लाकर 3 लाख 60 हजार रुपये में बेच दिया गया था।
*बच्चों की तस्करी का भंडाफोड़ | Patna Rail Police की कार्रवाई | DIG Rajiv Mishra*
दो मासूमों की सकुशल वापसी
पुलिस की तेज कार्रवाई सिर्फ देवांश की वापसी तक सीमित नहीं रही। छापेमारी के दौरान पुलिस ने उसी गिरोह के कब्जे से एक और बच्चा—6 वर्षीय अमन राज—को भी सकुशल आज़ाद कराया।
जब दोनों बच्चों को पुलिस ने परिवार के सुपुर्द किया तो घरों में लौट आई मासूमियत से भरी हंसी ही इस अभियान की असली जीत साबित हुई। पुलिस की यह सफलता न केवल बच्चों की सुरक्षा में उनकी सजगता और संवेदनशीलता को दिखाती है, बल्कि मानव तस्करी जैसे संगठित अपराध के खिलाफ उनका ठोस प्रहार भी है।
मानव तस्करी के खिलाफ बड़ा संदेश
यह गिरोह बच्चों की चोरी और अवैध बिक्री में सक्रिय था। बिहार पुलिस की इस कार्रवाई ने न सिर्फ इस नेटवर्क की कमर तोड़ी बल्कि समाज को यह भरोसा दिलाया कि हर बच्चा सुरक्षित रहेगा और अपराधियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।
आज देवांश अपनी मां की गोद में है और अमन की मासूम मुस्कान लौट आई है। लेकिन यह कहानी सिर्फ दो बच्चों की नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों की उम्मीद है जो अपने बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य की कामना करते हैं।
इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि जब एक मां की पुकार पुलिस तक पहुंचती है, तो पूरा प्रशासन उसकी जिम्मेदारी को अपनी प्राथमिकता बना लेता है।
पटना मेट्रो अपडेट | DM और SSP का संयुक्त निरीक्षण