Sunday, July 27, 2025
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क्या मामला है राजेश साह हत्याकांड? क्यों निशाने पर हैं दिलीप जायसवाल?

राजनीति और अपराध की धुंधली होती रेखाओं के बीच एक पुराना हत्या कांड एक बार फिर बिहार की राजनीति के केंद्र में आ खड़ा हुआ है। जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर 2007 में हुए राजेश साह हत्याकांड में संपर्क और संलिप्तता का गंभीर आरोप लगाया है।

इस रिपोर्ट में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि प्रशांत किशोर किन बिंदुओं और प्रमाणों के आधार पर दिलीप जायसवाल को सीधे कटघरे में ला रहे हैं, और इसके पीछे क्या राजनीति है, क्या सच्चाई है।

क्या है राजेश साह हत्याकांड?

वर्ष 2007, स्थान: माता गुजरी मेडिकल कॉलेज, किशनगंज

पीड़ित: राजेश साह, एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी

हत्या का तरीका: पूजा आयोजन के बहाने बुलाकर गोलियों से हत्या

अब तक की कार्रवाई: फिर भी कोई ठोस सजा नहीं, CID जांच की सिफारिश हाई कोर्ट ने की थी

प्रशांत किशोर के आरोप – तथ्यों के साथ

1. राजनीतिक संरक्षण का आरोप

प्रशांत किशोर का दावा है कि:

“यह हत्या कोई साधारण मामला नहीं था। इसमें सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के साथ-साथ तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष का नाम भी सामने आया, जो आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बन चुके हैं।”

2. पीड़ित परिवार को धमकी

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजेश साह की माँ अमला देवी और बहन रीता कुमारी को साथ लाकर प्रशांत किशोर ने यह बताया कि:

उन्हें चेहरा तक नहीं देखने दिया गया

बहन को कॉलेज में कहा गया कि “क्रिमिनल की बहन हो”

शादी कर लो और चुप रहो — ऐसा दबाव डाला गया

3. मामले को दबाने की कोशिश

PK का आरोप है कि अब तक की सभी जांचों को राजनीतिक दबाव में खारिज या धीमा किया गया, जबकि पटना हाई कोर्ट ने CID जांच के स्पष्ट आदेश दिए थे।

4. आर्थिक लेनदेन की पृष्ठभूमि

कथित रूप से यह विवाद 100 करोड़ रुपये की ज़मीन से संबंधित था, जिस पर राजेश साह के पास प्रमाण थे। इस एंगल से भी सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ी हस्तियों पर शक जताया गया है।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

दिलीप जायसवाल और भाजपा ने इन आरोपों को “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया है।
उन्होंने कहा:

प्रशांत किशोर को कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है, इसलिए पुराने मामले उठाकर झूठ फैलाया जा रहा है। अगर उनके पास सबूत हैं तो कोर्ट जाएं, माइक नहीं।

नामजद आरोप पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष का नाम चार्जशीट में नहीं माना गया कानूनी रूप से सिद्ध
पीड़ित परिवार के बयान कैमरे के सामने आए, धमकियों की बात भाजपा ने कहा – भावनात्मक नाटक
न्यायिक स्थिति पटना HC ने CID जांच के आदेश दिए अब तक ठोस कार्रवाई नहीं
राजनीतिक समय विधानसभा चुनाव नजदीक आरोप समयबद्ध साजिश की तरह

सवाल अब जनता और न्याय व्यवस्था से

राजेश साह की हत्या पर न्याय मिलना अब केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की राजनीतिक ईमानदारी की परीक्षा भी बन गया है।
प्रशांत किशोर का आरोप कितना सच है, यह आने वाले दिनों में न्यायिक प्रक्रिया, मीडिया दबाव और जन आंदोलन से स्पष्ट हो सकता है। लेकिन यह तय है कि यह मामला अब केवल अतीत नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों का एक सशक्त मुद्दा बनने जा रहा है।

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