बिहार की 17वीं विधानसभा का आखिरी मानसून सत्र आज, 21 जुलाई 2025 को शुरू हुआ, जो 25 जुलाई तक चलेगा। यह सत्र राजनीतिक और विधायी दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह सरकार का अंतिम बड़ा मंच होगा।
क्या है इस सत्र की प्रमुख बातें?
सरकार पेश करेगी 12 विधेयक
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस सत्र में 12 नए विधेयक पेश करने जा रही है। इनमें खासतौर पर निम्नलिखित विधेयकों पर नज़र रहेगी:
1. जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक – राज्य में युवाओं को व्यवसायिक शिक्षा और कौशल विकास से जोड़ने की योजना।
2. गीग वर्कर्स एवं छोटे दुकानदारों के हित के लिए विधेयक – असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की पहल।
3. भूमि विवाद निवारण संशोधन विधेयक – तेजी से भूमि विवाद निपटाने की कोशिश।
4. नगर निकाय अधिकार संशोधन विधेयक – शहरी निकायों को वित्तीय और प्रशासनिक रूप से अधिक स्वायत्त बनाने का प्रयास।
₹50,000 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्ताव
सत्र के पहले ही दिन सरकार ने ₹50,000 करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया। यह राशि विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन, विशेष रूप से बाढ़ राहत, शिक्षा, सड़क निर्माण और रोजगार कार्यक्रमों के लिए नियोजित की गई है।
पटना नगर निगम ने तेज किया मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य, घर-घर जाकर दे रहे सहायता
विपक्ष के तेवर तीखे
विपक्ष इस सत्र में सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है। प्रमुख विपक्षी दलों राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले और एआईएमआईएम ने सत्र की पूर्व संध्या पर साझा प्रेस वार्ता कर यह साफ कर दिया कि वे सरकार की कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, पटना अस्पताल में हुई गैंगस्टर हत्या, और वोटर सत्यापन प्रक्रिया (SIR) को लेकर हमलावर रहेंगे।
SIR पर उठे सवाल
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के तहत लाखों वोटर्स को सूची से हटाने की तैयारी हो रही है।
उन्होंने इसे “चुनावी जनादेश को प्रभावित करने की साजिश” बताया है।
पटना जिलाधिकारी की पहल: पुनरीक्षण अभियान में पारदर्शिता के लिए राजनीतिक दलों से संवाद
चुनाव पूर्व अंतिम मंच
यह मानसून सत्र 17वीं बिहार विधानसभा का अंतिम सत्र है। विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2025 तक समाप्त हो रहा है और उससे पहले राज्य में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।
इस लिहाज से यह सत्र सत्तारूढ़ सरकार के लिए अपनी नीतियों और उपलब्धियों को रेखांकित करने का अंतिम अवसर है, जबकि विपक्ष इसे सरकार के असफलताओं को उजागर करने के मंच के रूप में देख रहा है।
5 दिनों का यह मानसून सत्र राजनीतिक दृष्टि से बेहद गर्म रहने वाला है। जहां सरकार विकास और विधायिका सुधारों की झड़ी लगाने की तैयारी में है, वहीं विपक्ष जनसरोकारों, युवाओं की बेरोजगारी, किसान हितों और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाएगा।
गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि: पटना में बाढ़ को लेकर सतर्कता, प्रशासन अलर्ट मोड में