Sunday, July 27, 2025
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विधानसभा किसी के बाप की नहीं!” — भाई वीरेंद्र के बयान से मचा बवाल, सत्ता पक्ष ने कहा “संवैधानिक मर्यादा की हत्या”

बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र में उस समय तीखा राजनीतिक भूचाल आ गया, जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ विधायक भाई वीरेंद्र ने सदन के भीतर गरजते हुए कहा — “विधानसभा किसी के बाप की नहीं है!”। इस बयान से सत्ता पक्ष बिफर पड़ा, और पूरा सदन कुछ देर के लिए असंतुलन की स्थिति में चला गया।

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क्या था बयान?

मंगलवार, 22 जुलाई को SIR (Special Intensive Revision of electoral rolls) को लेकर हो रही बहस के दौरान भाई वीरेंद्र ने सत्ता पक्ष के व्यवहार पर आपत्ति जताते हुए ऊँची आवाज़ में कहा —

विधानसभा किसी के बाप की नहीं है!
यह कथन विधानसभा की कार्यवाही के दौरान स्पीकर नंद किशोर यादव के ध्यान में आया, जिसके बाद उन्होंने इसे अशोभनीय और असंवैधानिक करार दिया और भाई वीरेंद्र से इस पर स्पष्टीकरण और माफी की मांग की।

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सत्ता पक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस बयान को लोकतंत्र का अपमान बताते हुए सदन में खड़े होकर कहा:

“यह बयान विधानसभा की गरिमा के खिलाफ है। यह ‘गुंडागर्दी’ है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

भाजपा के कई विधायकों ने भी यह आरोप लगाया कि भाई वीरेंद्र का यह रवैया सदन की गरिमा को धूमिल करता है और उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए। भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कहा —

“यह बयान RJD की सोच को दर्शाता है — लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान नहीं, सिर्फ हंगामा करना आता है।

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RJD विधायकों ने सत्ता पक्ष के आरोपों को खारिज किया और कहा कि भाई वीरेंद्र का आशय सदन की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा से था।
तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे को तूल न देने की अपील करते हुए कहा —

“हमारा लक्ष्य SIR के बहाने आम जनता को मतदाता सूची से वंचित करने की साजिश को उजागर करना है, न कि किसी की भावनाओं को आहत करना।”

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स्पीकर की कार्रवाई

स्पीकर नंद किशोर यादव ने भाई वीरेंद्र से सदन में माफी मांगने की बात दोहराई।

लेकिन भाई वीरेंद्र ने माफी मांगने से इंकार कर दिया और कहा —

मैंने कोई निजी टिप्पणी नहीं की, मैंने लोकतंत्र की बात की है। अगर ये भी अपराध है, तो मैं दोषी हूं।”

इसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया।

यह बयान उस पृष्ठभूमि में आया है जब SIR को लेकर विपक्ष सरकार पर जातीय और क्षेत्रीय भेदभाव के साथ मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगा रहा है। RJD और कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि लाखों नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं ताकि विपक्ष को चुनाव में कमजोर किया जा सके।

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भाई वीरेंद्र का “बाप की विधानसभा” वाला बयान अब केवल बयानबाजी का मुद्दा नहीं रह गया है, यह राजनीतिक रणनीति, सदन की गरिमा और आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा तय करने वाला मोड़ बन गया है।
सत्ता पक्ष इसे “लोकतंत्र का अपमान” बता रहा है, तो विपक्ष इसे “जन अधिकार की लड़ाई” कह रहा है।

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