जिला प्रशासन पटना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए पटना समाहरणालय में कार्यरत एक निम्नवर्गीय लिपिक श्री रवि झा को सरकारी धन की क्षति पहुंचाने एवं भ्रष्ट आचरण में संलिप्त पाए जाने के गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
यह कार्रवाई पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. के आदेश पर बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1976 के तहत की गई है। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले कि रवि झा ने अपने कार्यकाल के दौरान वित्तीय प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कोष को हानि पहुंचाई। साथ ही उनके खिलाफ रिश्वत लेने और दस्तावेजी प्रक्रियाओं में अनियमितता बरतने की शिकायतें भी सामने आई थीं।
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जांच में मिले महत्वपूर्ण तथ्य:
विभागीय ऑडिट में संदेहास्पद भुगतान और बिलों में हेराफेरी के प्रमाण मिले।
कुछ महत्वपूर्ण फाइलों में जानबूझकर देरी एवं दस्तावेज गायब किए जाने की बात सामने आई।
लोक शिकायत निवारण अधिकार पोर्टल पर भी रवि झा के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज थीं।
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निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि इस अवधि में श्री झा को मुख्यालय नहीं छोड़ने की अनुमति नहीं होगी, और वे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता के हकदार होंगे।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि जांच में आरोप प्रमाणित होते हैं, तो सेवा से बर्खास्तगी जैसी कठोर कार्रवाई भी की जा सकती है।
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अब इस मामले की गहराई से विभागीय जांच की जाएगी और श्री झा को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।
यह कार्रवाई जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. के आने के बाद सक्रिय हुए जिला प्रशासन की “भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन” की नीति की ओर एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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