Sunday, July 27, 2025
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बिहार की राजनीति में नया भूचाल: तेजप्रताप यादव ने बनाई नई पार्टी, RJD और तेजस्वी यादव की राजनीति पर बड़ा असर संभव

पटना। बिहार की राजनीति में सोमवार की शाम एक बड़ा धमाका हुआ जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने की औपचारिक घोषणा कर दी। तेजप्रताप की इस घोषणा ने न केवल RJD के अंदरूनी हालात पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के समीकरणों को भी गंभीर रूप से प्रभावित करने के संकेत दे दिए हैं।

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तेजप्रताप यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अपनी पार्टी का नाम और झंडा जल्द सार्वजनिक करने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आम लोगों की आवाज बनेगी और परिवारवाद, भाई-भतीजावाद व तानाशाही राजनीति से अलग होगी।

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तेजप्रताप का विद्रोह: पारिवारिक अंतर्विरोध या वैचारिक मतभेद?

तेजप्रताप लंबे समय से पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे थे। उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से तेजस्वी यादव के नेतृत्व शैली पर सवाल उठाए थे। कई मौकों पर वे खुद को दरकिनार किया गया नेता बताते रहे हैं। नई पार्टी की घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि अब लालू परिवार में राजनीतिक विभाजन गहराता जा रहा है।

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RJD और तेजस्वी यादव को कितना नुकसान?

तेजप्रताप की नई पार्टी और उनकी नाराजगी से RJD को कई स्तर पर नुकसान होने की आशंका है:

1. पारंपरिक यादव वोट बैंक में बिखराव:
यादव समाज, जो RJD का मुख्य आधार रहा है, उसमें अब विभाजन की संभावना है। तेजप्रताप की छवि युवाओं में लोकप्रिय है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। यदि वे सक्रिय अभियान में उतरते हैं, तो यादव मतों में सेंधमारी तय है।

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2. पार्टी की एकता पर संकट:
तेजस्वी के नेतृत्व को चुनौती मिलने से RJD की आंतरिक एकजुटता कमजोर हो सकती है। कार्यकर्ता और छोटे नेता दो धड़ों में बंट सकते हैं।

3. NDA को अप्रत्यक्ष लाभ:
महागठबंधन में दरार का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) और NDA को मिल सकता है, क्योंकि विपक्ष कमजोर होगा और मुस्लिम-यादव समीकरण में फूट पड़ सकती है।

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विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया:

BJP नेताओं ने तेजप्रताप की घोषणा को RJD की विफल नेतृत्व शैली का परिणाम बताया है। वहीं कांग्रेस और वाम दलों ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं दी है, लेकिन अंदरखाने चिंता स्पष्ट है क्योंकि महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हो चुके हैं।

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जनता का नजरिया:

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग तेजप्रताप के फैसले को साहसिक और स्वतंत्र राजनीतिक सोच बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा करार दे रहे हैं, जिससे विपक्ष कमजोर होगा।

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तेजप्रताप यादव की नई पार्टी बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकती है। यह कदम न सिर्फ RJD बल्कि तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं को गहरा झटका दे सकता है। यदि तेजप्रताप बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय चुनावी प्रचार करते हैं और कुछ प्रभावशाली नेताओं को साथ लाते हैं, तो RJD की राह आसान नहीं होगी।

यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि 2025 का विधानसभा चुनाव केवल NDA बनाम महागठबंधन की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि इसमें “भाई बनाम भाई” की लड़ाई भी अब सामने आ गई है।

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