Sunday, July 27, 2025
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जन सुराज पार्टी में नए चेहरों की एंट्री तेज़, नजर तेजप्रताप और कन्हैया पर?

बिहार की राजनीति में तेजी से उभरती जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) अब केवल एक वैकल्पिक विचार नहीं, बल्कि एक सशक्त राजनीतिक मंच के रूप में खुद को स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

प्रशांत किशोर की नेतृत्व क्षमता और सामाजिक-सांगठनिक पकड़ अब नये राजनीतिक चेहरों को आकर्षित कर रही है। बीते सप्ताह पूर्व ADGP जे.पी. सिंह और भोजपुरी गायक-नेता ऋतेश पांडेय के पार्टी में शामिल होने से जन सुराज को सामाजिक और प्रशासकीय दोनों मोर्चों पर मजबूती मिली है।आ

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जनता के मन में भरोसे की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज पार्टीआ का यह कदम केवल चेहरों की भव्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें पार्टी जनता के विभिन्न वर्गों में अपने प्रभाव को विस्तारित करना चाहती है—खासकर युवा, ग्रामीण और मध्यम वर्ग में।

पूर्व IPS अधिकारी जेपी सिंह की प्रशासनिक छवि और भ्रष्टाचार-विरोधी रुख, वहीं ऋतेश पांडेय की भोजपुरी समाज में लोकप्रियता, जन सुराज को ज़मीनी स्तर पर नई ऊर्जा दे सकती है। इससे पहले मनीष कश्यप, जो युवाओं के बीच सोशल मीडिया पर चर्चित चेहरा रहे हैं, पहले ही पार्टी जॉइन कर चुके हैं।

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क्या तेज प्रताप और कन्हैया अगला बड़ा नाम हो सकते हैं?

सियासी गलियारों में अब यह चर्चा गरम है कि प्रशांत किशोर की नजर राष्ट्रीय जनता दल से नाराज़ चल रहे तेज प्रताप यादव और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार पर भी है। तेज प्रताप की हालिया गतिविधियाँ—जैसे प्रेस कॉन्फ्रेंस को अचानक रद्द करना और RJD नेतृत्व से दूरी—इस ओर संकेत दे रही हैं कि वे किसी राजनीतिक बदलाव की ओर झुक सकते हैं।

इसी तरह कन्हैया कुमार, जो कांग्रेस में ‘थिंक टैंक’ की भूमिका निभा रहे थे, लगातार बिहार की सक्रिय राजनीति से कटे हुए हैं। जन सुराज पार्टी की वैचारिक स्वतंत्रता और PK के साथ पुराने संबंध उन्हें नए राजनीतिक मंच की ओर आकर्षित कर सकते हैं।

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प्रशांत किशोर की रणनीति: चेहरे नहीं, कैडर और कंट्रोल

यह साफ होता जा रहा है कि प्रशांत किशोर केवल लोकप्रिय नाम जोड़ने की बजाय कैडर-बेस्ड संगठन तैयार कर रहे हैं, जो ‘जन संवाद’ और ‘जनभागीदारी’ पर आधारित है। वे बिहार की जातिगत राजनीति के पार जाकर वैकल्पिक नीति और प्रशासनिक पारदर्शिता को आधार बनाकर सामने आना चाहते हैं।

उनकी यह रणनीति BJP और RJD दोनों के परंपरागत वोटबैंक में सेंध लगाने की मंशा से प्रेरित मानी जा रही है। खासकर अति पिछड़ा वर्ग, शिक्षित युवा, और बेरोजगार तबके में जन सुराज का आधार तेज़ी से बढ़ रहा है।

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2025 के विधानसभा चुनाव पर संभावित असर

अगर तेज प्रताप यादव और कन्हैया कुमार जैसे चेहरे जन सुराज में शामिल होते हैं तो यह पार्टी न सिर्फ “तीसरा विकल्प” बनेगी, बल्कि वह RJD और कांग्रेस के वोट बैंक को भी सीधा नुकसान पहुँचा सकती है। खासकर शहरी इलाकों और मध्यम वर्ग के वोटों में विभाजन संभावित है।

इसके अलावा, PK की सोशल इंजीनियरिंग NDA को भी चुनौतियों में डाल सकती है, क्योंकि वह जाति समीकरणों से ऊपर उठकर ‘विकास’ और ‘गवर्नेंस’ के नैरेटिव को आगे ला रहे हैं।

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जन सुराज पार्टी की हालिया गतिविधियाँ यह संकेत दे रही हैं कि बिहार की राजनीति अब पारंपरिक ध्रुवीकरण से आगे बढ़ रही है। नए चेहरों का आगमन और संभावित राजनीतिक गठजोड़ भविष्य की राजनीति को नई दिशा दे सकते हैं। अब देखना है कि PK की यह रणनीति चुनावी मैदान में कितनी असरदार साबित होती है।

 

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