Sunday, July 27, 2025
HomeTop Storiesभीड़ हिंसा पर नियंत्रण के लिए बिहार पुलिस का ‘आक्रामक अपग्रेड’ —...

भीड़ हिंसा पर नियंत्रण के लिए बिहार पुलिस का ‘आक्रामक अपग्रेड’ — पटना में नई रणनीति के तहत आधुनिक हथियार और निगरानी सिस्टम की व्यवस्था शुरू

राजधानी पटना समेत बिहार के कई जिलों में हाल ही में हुई भीड़ हिंसा की घटनाओं ने सरकार और प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया। कभी सड़क जाम, तो कभी सामुदायिक तनाव—इन सबमें पुलिस को समय रहते नियंत्रण करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने पुलिस की भीड़ नियंत्रण क्षमता को अपग्रेड करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।

पटना में बढ़ते अपराध के बीच अब संदेहास्पद भूमिका में पाए जा रहे पुलिसकर्मी भी नहीं बख्शे जा रहे — SSP की सख्त कार्रवाई में कई अधिकारी निलंबित

क्या हुआ था हालिया घटनाओं में?

बीते कुछ हफ्तों में पटना के राजीव नगर, फुलवारी शरीफ, और बिहटा क्षेत्रों में भीड़ के हिंसक रूप लेने की खबरें सामने आई थीं। कुछ जगहों पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया, वहीं कुछ इलाकों में पुलिस बल पर हमला भी किया गया। इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि राज्य पुलिस के पास त्वरित और प्रभावशाली भीड़ नियंत्रण की तकनीकी और संसाधन की भारी कमी है।

दिनदहाड़े पारस अस्पताल में हुए चंदन मिश्रा हत्याकांड का खुलासा, मुख्य आरोपी तौसीफ राजा समेत चार गिरफ्तार — पटना पुलिस की बड़ी सफलता

क्या-क्या बदलाव किए जा रहे हैं?

राज्य सरकार और गृह विभाग के स्तर पर जो प्रस्ताव और कार्य योजना बनाई गई है, उसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

1. अत्याधुनिक असलहे:

पुलिस बल को नई पीढ़ी की असॉल्ट राइफलें (5.56mm INSAS और AK-203) उपलब्ध कराई जाएंगी।

दंगाइयों को नियंत्रित करने के लिए रबर बुलेट गन और टियर गैस शूटर तैनात किए जाएंगे।

पटना नगर निगम की मानसून तैयारी: जलजमाव से निपटने के लिए 364 पंप किए गए सक्रिय
2. वॉटर कैनन और मोबाइल यूनिट्स:

पटना और अन्य शहरी जिलों को नई वाटर कैनन वाहन इकाइयाँ दी जा रही हैं, जो दंगा नियंत्रण में प्रभावी साबित होती हैं।

इन वाहनों को तेज दबाव वाली जलधारा, स्पीकर चेतावनी सिस्टम, और CCTV रिकॉर्डिंग यूनिट से लैस किया जा रहा है।

बिहार में बढ़ते अपराधों पर नकेल कसने को STF की बड़ी पहल: सुपारी किलर और शूटरों पर अब चलेगा ‘किलर सेल’ का डंडा
3. बॉडी कैमरा अनिवार्यता:

अब गश्ती और दंगा नियंत्रण ड्यूटी पर लगे प्रत्येक कर्मी को बॉडी कैमरा पहनना अनिवार्य होगा।

इससे जवाबदेही तय होगी और कार्रवाई की सत्यता रिकॉर्ड में रहेगी।

4. STF और ATS की पुनर्रचना:

स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को अब स्थानीय घटनाओं पर भी तेज़ी से कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी जा रही है।

एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) को भीड़ हिंसा की जांच और योजनाबद्ध साजिश के मामलों में सहयोगी एजेंसी बनाया गया है।

बिहार में औद्योगीकरण: कागजों की चमक, ज़मीनी सच्चाई फीकी क्यों?

5. ड्रोन और मोबाइल कंट्रोल रूम:

संवेदनशील इलाकों में भीड़ की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरा का इस्तेमाल किया जाएगा।

मोबाइल कंट्रोल रूम वैन तैनात की जाएंगी, जिससे मौके पर ही निर्णय और कमांड दिए जा सकें।

पुलिस प्रशिक्षण और जवाबदेही भी होगी कड़ी

गृह विभाग ने सभी थानों को निर्देशित किया है कि:

जवानों को भीड़ नियंत्रक रणनीति, दंगा मनोविज्ञान और मानवाधिकार की सीमाओं की जानकारी दी जाए।

गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई तय की जाएगी।

पटना मेट्रो कोच पहुंचे, 15 अगस्त से ट्रायल की तैयारी — राजधानी को मिलेगी दिल्ली जैसी मेट्रो सुविधा

प्रशासन की मंशा स्पष्ट

राज्य पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:

हम चाहते हैं कि पुलिस सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि रणनीति, अनुशासन और जवाबदेही से लैस हो। भीड़ चाहे किसी भी उद्देश्य से इकट्ठी हो — कानून हाथ में लेने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।

बिहार सरकार का यह कदम न सिर्फ तकनीकी उन्नयन है, बल्कि “प्रतिक्रिया से पहले की तैयारी” की नीति की तरफ बढ़ता हुआ बदलाव है। अब देखने वाली बात होगी कि ज़मीनी स्तर पर ये सुधार कितनी तेज़ी और प्रभावशीलता से लागू होते हैं।

यह भी पढ़े

अन्य खबरे