बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की जांच में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भागलपुर जिले में दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) और एक पाकिस्तानी पुरुष का आधार कार्ड जारी होने का खुलासा हुआ है। यह मामला विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) ऑफ वोटर लिस्ट के दौरान पकड़ा गया, जिससे मतदाता सूची की शुचिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
टोपी विवाद’: नीतीश कुमार का राजनीतिक संदेश या चुनावी रणनीति?
जांच में क्या निकला सामने
गृह मंत्रालय की टीम अवैध रूप से भारत में वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी ठहरे हुए विदेशियों का पता लगाने में जुटी थी। इसी दौरान भागलपुर के इशाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर गुमटी नंबर 3 टैंक लेन में दो पाकिस्तानी महिलाओं की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
फिरदौसिया खानम – पति का नाम मो. तफजील अहमद, मूल रूप से पाकिस्तान के रंगपुर की रहने वाली। 19 जनवरी 1956 को तीन महीने के वीजा पर भारत आईं और यहीं रुक गईं।
इमराना खानम उर्फ इमराना खातून – पिता का नाम इबतुल हसन, भारत में तीन साल के वीजा पर आईं, लेकिन वीजा समाप्ति के बाद भी भागलपुर में ही रह गईं।
बिहारवासी लालूजी से सीखे, बुढ़ापा के बावजूद बेटे को मुख्यमंत्री बनाने दर-दर, जनता जात-पात में उलझी
जांच में यह भी पाया गया कि इन दोनों महिलाओं के नाम पर मतदाता पहचान पत्र (EPIC नंबर सहित) जारी हो चुका है।
इसके अलावा, मोहम्मद असलम नामक एक पाकिस्तानी नागरिक 24 मई 2002 को दो साल के वीजा पर भारत आया था। वह भी वीजा समाप्ति के बाद से लगातार भारत में रह रहा है और उसने आधार कार्ड तक बनवा लिया।
प्रशासन की कार्रवाई
स्पेशल ब्रांच के एसपी ने भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी और एसएसपी से इस मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है। डीएम ने पुष्टि की है कि दोनों पाकिस्तानी महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नवादा: राज बल्लभ यादव की नए ठिकाने पर निगाहें
क्यों है यह मामला गंभीर
यह खुलासा केवल भागलपुर तक सीमित नहीं है। यह घटना इस बात का सबूत है कि मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता बनाए रखने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कितना आवश्यक है। विपक्ष भले ही चुनाव आयोग पर चुनावी गड़बड़ी या वोट चोरी जैसे आरोप लगाता हो, लेकिन ऐसे मामलों से साफ है कि यदि SIR न हो तो बड़ी संख्या में जो विदेशी नागरिक यहां वर्षों से अवैध रूप से रह रहे हैं और अपना भारतीय मतदाता सूची में नाम भी डलवा लिया है उनकी पहचान करना असंभव है।
राजनीतिक और सुरक्षा पर असर
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और राष्ट्रीय सुरक्षा, दोनों ही इस मामले से जुड़ी हुई हैं। यदि विदेशी नागरिकों के नाम पर वोटर आईडी और आधार कार्ड बन जाते हैं, तो यह न केवल भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है।