राजधानी पटना में दिनदहाड़े अपराध की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर पारस अस्पताल में हुई कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे थे। लेकिन अब पटना पुलिस प्रशासन ने साफ संकेत दे दिया है कि सिर्फ अपराधियों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर “संदेहास्पद भूमिका” में पाए जा रहे कर्मियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दिनदहाड़े अस्पताल में हत्या से मचा था हड़कंप
17 जुलाई 2025 को पारस अस्पताल के भीतर चंदन मिश्रा को गोली मार दी गई थी। घटना इतनी दुस्साहसिक थी कि अपराधी अस्पताल जैसे सुरक्षित परिसर में घुसे, वारदात को अंजाम दिया और फरार हो गए। इसके बाद पूरे शहर में दहशत और असुरक्षा का माहौल बन गया।
पुलिस प्रशासन की त्वरित कार्रवाई — लापरवाही नहीं होगी माफ
घटना के 48 घंटे के भीतर ही पटना पुलिस ने चार अभियुक्तों की गिरफ्तारी के साथ-साथ कई पुलिसकर्मियों के निलंबन की कार्रवाई कर यह स्पष्ट कर दिया कि अब संदेहास्पद और लापरवाह पुलिसकर्मी भी जांच के दायरे में हैं।
निलंबित अधिकारी और कर्मी:
शास्त्रीनगर थाना: 1 सब-इंस्पेक्टर, 2 ASI और 2 कांस्टेबल — कुल 5 लोग
गांधी मैदान थाना: SHO (राजेश कुमार) — फील्ड ड्यूटी में लापरवाही
सचिवालय और गर्दनीबाग थाना: प्रत्येक से 1-1 SI — बीट पेट्रोलिंग में कोताही
SSP का सख्त संदेश
पटना के एसएसपी ने अपने बयान में कहा कि:
“अब वह दौर नहीं रहा जब थाना में बैठना ही कर्तव्य माना जाता था। हर स्तर पर जवाबदेही तय होगी। जो भी अधिकारी या जवान सुरक्षा व्यवस्था में चूक करेंगे, चाहे वो कितने ही ऊँचे पद पर क्यों न हों, कार्रवाई तय है।”
अब हर गतिविधि पर निगरानी
पटना में गोपाल खेमका हत्याकांड: लापरवाही पर गिरी गाज, गांधी मैदान थानेदार राजेश कुमार निलंबित
घटना के बाद पटना पुलिस ने:
रात्री गश्त और बीट ड्यूटी को पुनः संगठित किया
संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की तलाशी बढ़ाई
अस्पतालों, मॉल्स और सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा को प्राथमिकता पर लिया
भीतर के ‘लीकिंग पॉइंट्स’ यानी सूचना देने वालों और निष्क्रिय अधिकारियों की निगरानी शुरू की
“संदेहास्पद भूमिका” की परिभाषा भी बदल रही है
पटना: महापौर पुत्र शिशिर कुमार पर FIR, पुलिस पहुंची आवास पर, समर्थकों ने किया विरोध प्रदर्शन
अब पुलिस विभाग में केवल अपराधियों से मिलीभगत या रिश्वत लेना ही संदेहास्पद भूमिका नहीं मानी जा रही, बल्कि:
ड्यूटी में लापरवाही
समय पर गश्त न करना
सूचना होते हुए भी कार्रवाई न करना
संवेदनशील स्थानों पर निगरानी न रखना
…भी “संदेहास्पद” श्रेणी में गिने जा रहे हैं।
पटना पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई से न केवल अपराधियों को कड़ा संदेश गया है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर भी यह स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अब कोई भी लापरवाह, निष्क्रिय या संदेहास्पद भूमिका वाला कर्मी सुरक्षित नहीं है।
जनता को अब यह भरोसा हो रहा है कि अपराध से लड़ने के लिए केवल अपराधियों पर नहीं, पुलिस की अपनी व्यवस्था पर भी कठोर नजर रखी जा रही है।