पटना, 24 अगस्त।
बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सख्त निर्देश जारी किया है कि जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों पर बिना ठोस सबूत या आधार के कोई बयानबाज़ी न करें। पार्टी का मानना है कि बेवजह प्रतिक्रिया देने से न केवल व्यक्तिगत नेताओं की छवि खराब हो रही है, बल्कि भाजपा की भी फजीहत हो रही है।
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15 दिन पहले शुरू हुआ विवाद
सूत्रों के अनुसार, लगभग 15 दिन पहले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने सोशल मीडिया पर प्रशांत किशोर को “देख लेने” की धमकी दी थी। इसके बाद प्रशांत किशोर ने उस नेता सहित कई अन्य भाजपा नेताओं पर हत्या, सजायफ्ता होने और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। आरोपों का जवाब अब तक संबंधित नेता नहीं दे पाए हैं, जिससे पार्टी के भीतर असहज स्थिति बनी हुई है।
केंद्रीय नेतृत्व की फटकार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मामले की गंभीरता देखते हुए केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के एक वरिष्ठ नेता ने पटना में उस नेता को तलब किया और उनसे आरोपों पर प्रतिउत्तर देने का आधार मांगा। जब नेता कोई ठोस दस्तावेज़ या सबूत पेश नहीं कर सके, तो केंद्रीय नेतृत्व ने सख्ती से कहा कि—
यदि आरोप झूठे हैं और आपके पास प्रमाण हैं तो न्यायालय का सहारा लें, पार्टी आपके साथ खड़ी होगी।
लेकिन यदि कोई ठोस जवाब नहीं है तो बयानबाज़ी से बचें, वरना इससे पार्टी की छवि धूमिल होगी।
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प्रवक्ताओं को भी मिली चेतावनी
इसी क्रम में भाजपा प्रवक्ताओं को भी यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रशांत किशोर के आरोपों पर “अंट-शंट” बयान देने से परहेज़ करें। केवल तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही प्रतिक्रिया दी जाए।
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किस पर लगे आरोप?
प्रशांत किशोर ने हाल ही में भाजपा के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें –
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर हत्या का आरोप,
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और पूर्व मंत्री मंगल पांडेय पर भ्रष्टाचार के आरोप,
तथा भाजपा कोटे से मंत्री जीवेश मिश्रा पर सजायफ्ता होने का आरोप शामिल है।
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भाजपा नेतृत्व का यह रुख साफ करता है कि पार्टी अब प्रशांत किशोर के आरोपों को लेकर बिना सबूत की बयानबाज़ी से दूरी बनाए रखना चाहती है। पार्टी चाहती है कि यदि आरोपों का प्रतिवाद करना है, तो वह ठोस दस्तावेज़ और कानूनी आधार पर हो, न कि राजनीतिक धमकियों के सहारे।