नई दिल्ली, 16 अगस्त 2025।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने साफ किया है कि मतदाता सूची (Electoral Roll) की शुद्धता और पारदर्शिता लोकतंत्र की मजबूती का आधार है। आयोग ने कहा कि मतदाता और राजनीतिक दलों को प्रत्येक चरण में त्रुटियों को सुधारने का पूरा अवसर दिया जाता है, इसलिए समय पर आपत्ति दर्ज करना बेहद जरूरी है।
चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि––
1. संसद और विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया बहु-स्तरीय और विकेन्द्रित ढांचे पर आधारित है।
2. चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ERO), जो एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तर अधिकारी (BLO) की मदद से मतदाता सूची तैयार और अंतिम रूप देते हैं।
3. प्रारंभिक (ड्राफ्ट) मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद उसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई जाती हैं और ECI की वेबसाइट पर डाली जाती हैं। इसके बाद एक महीने का समय दावों और आपत्तियों के लिए मिलता है।
4. अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद भी उसकी प्रतियां सभी मान्यता प्राप्त दलों को दी जाती हैं और वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं।
5. अंतिम सूची के बाद अपील की दो स्तरीय प्रक्रिया है—पहली अपील जिला पदाधिकारी (DM) के पास और दूसरी अपील राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) के पास की जा सकती है।
6. आयोग ने दोहराया कि पारदर्शिता ही मतदाता सूची निर्माण की सबसे बड़ी विशेषता है।
7. आयोग ने यह भी कहा कि कई बार कुछ राजनीतिक दल और उनके बूथ लेवल एजेंट (BLA) समय पर सूची की जांच नहीं करते और त्रुटियों की ओर ध्यान नहीं दिलाते।
8. हाल के दिनों में कुछ दलों और व्यक्तियों ने पुरानी और नई मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया है।
9. आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसी आपत्तियाँ सही समय पर दावों-आपत्तियों की अवधि में उठाई जानी चाहिए थीं। अगर उस समय सही चैनल से बात रखी जाती, तो ERO/SDM त्रुटियों को दूर कर सकते थे।
10. चुनाव आयोग ने कहा कि वह राजनीतिक दलों और मतदाताओं से लगातार सहयोग की अपेक्षा करता है, ताकि वास्तविक त्रुटियों को समय पर सुधारकर मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाया जा सके।