पटना, जुलाई 2025।
पटना के प्रसिद्ध कारोबारी गोपल खेमका की दिनदहाड़े हत्या ने एक बार फिर राज्य की कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस हत्याकांड में अब तक कथित रूप से मुख्य शूटर विजय उर्फ उमेश यादव, बिल्डर अशोक शाह, और राजा सहित कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किए जाने का दावा पुलिस ने किया है। लेकिन असल सवाल अब भी बना हुआ है — क्या पुलिस असली मास्टरमाइंड तक पहुँच पाएगी?
बिहार में अपराधियों में कानून का खौफ नहीं। जिम्मेदार प्रशासन या राजनीतिक इच्छाशक्ति?
हत्या की कीमत: सिर्फ साढ़े तीन लाख रुपये
पुलिस जांच में सामने आया है कि गोपाल खेमका की हत्या की सुपारी सिर्फ ₹3.5 लाख में दी गई थी।
पुलिस ने मालसलामी इलाके से शूटर उमेश यादव को पकड़ा।
उसके पास से पिस्टल, ₹3 लाख नगद, स्कूटी और हत्या के समय पहने गए कपड़े बरामद हुए।
सीसीटीवी फुटेज से पहचान की पुष्टि की गई।
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पुलिस सूत्रों के अनुसार, हत्या की साजिश उदयगिरी अपार्टमेंट में रची गई थी, जहाँ पुलिस ने छापेमारी की है।
पुराना पैटर्न, नई चिंता: क्या 2018 की पुनरावृत्ति हो रही है?
इस हत्याकांड ने वर्ष 2018 में हाजीपुर में हुए गोपाल खेमका के बेटे की हत्या की यादें ताज़ा कर दीं, जिसमें:
मुख्य शूटर मिस्टी वर्मा को पकड़ा गया था,
लेकिन कुछ ही दिन बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।
2005 के ‘सुशासन बाबू’ से 2025 के ‘संघर्षशील मुख्यमंत्री’ तक – क्या बिहार में नीतीश कुमार के सुधारों की चमक अब धुंधला गई है?
वर्तमान केस में भी ऐसा ही डर उभर रहा है —
क्या उमेश यादव तक ही जांच सीमित रह जाएगी?
या फिर वह भी जल्द “खामोश” कर दिया जाएगा, ताकि असली साजिशकर्ता सामने न आए?
कड़ियाँ जोड़ती पटना पुलिस, लेकिन असली चेहरा अब भी धुंध में
पुलिस ने अब तक कुल 8 आरोपियों को हिरासत में लिया है।
इसके साथ ही जेल में बंद कुख्यात अजय वर्मा से भी पूछताछ की जा रही है।
रेंज आईजी जितेंद्र राणा, एसएसपी कार्तिकेय शर्मा, और सिटी एसपी दीक्षा खुद पटना सिटी क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं।
इन सबके बावजूद, अब तक असली मास्टरमाइंड का नाम या मकसद स्पष्ट नहीं हो पाया है।
सवाल वही: अपराधी कौन और षड्यंत्रकर्ता कौन?
यह सर्वविदित है कि:
> “अपराधी की किसी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती — वह सुपारी लेता है, गोली चलाता है और फिर गुम हो जाता है।”
तो फिर सवाल उठता है —
गोपल खेमका को मरवाने की कीमत देने वाला कौन था?
किसे उनके कारोबार, उनके प्रभाव या उनके अस्तित्व से खतरा था?
अब ये सवाल केवल उनके परिजनों या पुलिस के नहीं, बल्कि पूरे बिहार के व्यापारिक समाज और आम नागरिकों के भी हैं।
पर्दे के पीछे कौन है?
#BiharPolice की बड़ी कार्रवाई —अन्तर्राज्यीय कुख्यात अजय वर्मा गिरोह समेत गिरफ्तार,
अब तक की कार्रवाई केवल सतह पर तैरते नामों तक सीमित दिख रही है।
यदि पुलिस पिछली घटनाओं की तरह केवल शूटर तक पहुँचकर केस बंद करती है, तो एक और सुपारी कांड का मास्टरमाइंड बिना गिरफ्तारी के छूट जाएगा।
पटना पुलिस के सामने अब सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि जनता के सामने सच्चाई उजागर करने की ज़िम्मेदारी है।
पटना की कानून-व्यवस्था सुधारने मैदान में नए SSP कार्तिकेय कुमार