Sunday, July 7, 2024
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विरासत की लड़ाई में बिखर गया सोरेन परिवार

विरासत की लड़ाई में बिखर गया सोरेन परिवार

न्यूज लहर:19 मार्च 2024: विरासत की लड़ाई में बिखर गया सोरेन परिवार।परिवारवादी दलों में आपसी फूट का ताजा उदाहरण एक बार फिर देखने को मिला है,झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और दिशोम गुरूजी के नाम से लोकप्रिय शिबू सोरेन के परिवार में बगावत हो गई।आज शिबू सोरेन के बड़े पुत्र स्व दुर्गा सोरेन की पत्नी और महगामा से विधायक श्रीमती सीता सोरेन ने झामुमो और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।उन्होंने आरोप लगाया की परिवार में उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है और उनकी राजनीतिक कैरियर को खत्म करने की साजिश रची जा रही है।उनके बीजेपी ज्वाइन करने की संभावना है।

विरासत की लड़ाई में बिखर गया सोरेन परिवार

सीता सोरेन शिबू सोरेन के मरहूम पुत्र दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं।दुर्गा सोरेन भी विधायक रह चुके हैं और उनकी मृत्यु के बाद ही सीता सोरेन खुद को गुरूजी के स्वाभाविक उत्तराधिकारी मानती थी।लेकिन शिबू सोरेन ने बहू की जगह छोटे बेटे हेमंत सोरेन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया। हेमंत सोरेन ने इस जिम्मेदारी को निभाया भी और कांग्रेस,राजद के साथ गठबंधन बनाकर झारखंड में पूर्ण बहुमत से सरकार भी बनाई।हेमंत सोरेन के जमीन घोटाले में जेल जाने की नौबत आने पर यह कयास लगाए जा रहे थे की हेमंत सोरेन अपने परिवार के ही किसी व्यक्ति को सीएम की कुर्सी सौंपेंगे।परिवार की बड़ी बहू और कई बार विधायक रही दुर्गा सोरेन खुद को सीएम पद का दावेदार मान रही थी।परंतु जेल जाने के पूर्व के घटनाक्रम ने दुर्गा सोरेन को चौकन्ना कर दिया था।विधायक सरफराज अहमद द्वारा विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद यह अटकल तेज हो गई थी की हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।इस मुद्दे पर विधायक दल में रायशुमारी भी करवाई गई थी। उस रायशुमारी में भी सीता सोरेन ने अपनी दावेदारी ठोंकी थी पर शिबू सोरेन और हेमंत दुर्गा सोरेन को सीएम के योग्य नहीं मानते थे।विधायक दल में एकमत नहीं होने के कारण परिवार के बाहर के योग्य ,अनुभवी और परिवार के वफादार चंपई सोरेन को सीएम का ताज मिल गया।इसके बाद हेमंत सोरेन की पत्नी झामुमो के नेता के तौर पर मीटिंग और सभाओं में जाने लगी।इन घटनाक्रम से सीता सोरेन को यह अहसास हो गया की उन्हें साइड लाइन कर दिया गया है।झामुमो में रहकर वो विधायक मात्र ही बनी रहेंगी। अन्य राजनीतिक परिवारों की तरह यहां भी महत्वाकांक्षा की लड़ाई में दुर्गा सोरेन ने झामुमो से अलग हो जाने का फैसला लिया।

झामुमो छोड़ने के बाद सीता सोरेन ने हेमंत सोरेन और अपने ससुर शिबू सोरेन पर उन्हें सीएम नहीं बनाए जाने का दोषी ठहराया।उन्होंने परिवार के बाहर के चंपई सोरेन को सीएम बनाए जाने की आलोचना की।उनकी बातों से यह साफ था की वो खुद मुख्यमंत्री बनना चाहती थी।उन्हें अब यह अहसास हो गया था की हेमंत सोरेन के बाद उनकी पत्नी ही झामुमो की उत्तराधिकारी होंगी।परिवारिक कलह और ईर्ष्या और अतिशय अपेक्षा परिवार में बिखराव का कारण बन गया।

झामुमो और शिबू सोरेन के लिए लोकसभा चुनावों के पहले बड़ा झटका माना जा रहा है।सीता सोरेन के झामुमो छोड़ने से उनको कितना लाभ होगा यह तो वक्त बताएगा पर एन चुनाव के पहले भाजपा को झामुमो पर हमला बोलने का बड़ा मौका मिल गया।सीता सोरेन के झामुमो छोड़ने और भाजपा ज्वाइन करने से भाजपा को  मनोवैज्ञानिक लाभ जरूर हुआ है।

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