Tuesday, July 1, 2025
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नीतीश कुमार: बिहार के कायाकल्प की दो दशक लंबी कहानी

 

नीतीश कुमार: बिहार के कायाकल्प की दो दशक लंबी कहानी

पटना | न्यूज़ लहर ब्यूरो

विपक्ष भले ही उन्हें “यू-टर्न बाबा” कहे, प्रशांत किशोर बार-बार उन्हें कोसें — लेकिन जब इतिहास लिखा जाएगा, तो बिहार के पुनर्जागरण का सबसे बड़ा अध्याय नीतीश कुमार के नाम से ही शुरू होगा।

2005 में जब नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, बिहार अंधेरे, अपराध और अव्यवस्था के दौर से गुजर रहा था। लालू-राबड़ी राज की विरासत में उन्हें मिला था— जंगलराज, टूटी सड़कें, स्कूलों में ताले, भय का माहौल और शासन में पूरी तरह से गिरावट।

📉 विरासत में मिला था पतन, 📈 दो दशकों में किया निर्माण

नीतीश कुमार ने सत्ता संभालते ही जिस काम पर सबसे पहले ध्यान दिया, वो था कानून-व्यवस्था।
राज्य की सड़कों से लेकर थानों तक, अपराधियों को जेल भेजने से लेकर विकास की योजना बनाने तक — सब कुछ तेज़ी से हुआ।

🔹 कानून-व्यवस्था में सुधार —
उनका पहला कार्यकाल इस संदेश के लिए जाना जाता है: *“अब बिहार में डरने की जरूरत नहीं”। अपराधियों को पकड़ना, सुनवाई में तेजी लाना और पुलिस की जवाबदेही तय करना, इन सबने शासन की साख बदली।

🔹 सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर —
2005 से पहले बिहार की सड़कें गड्ढों में गुम थीं। नीतीश कुमार ने ‘हर गांव तक सड़क’ और ‘हर पंचायत तक बिजली’ जैसे अभियानों से गांवों को जिलों से और फिर देश से जोड़ा।

🔹 शिक्षा और पोषण —
बालिका शिक्षा के लिए उन्होंने जो साइकिल योजना शुरू की, वो देशभर में मॉडल बनी। स्कूलों में मिड-डे मील, लड़कियों के लिए अलग योजनाएं और शिक्षकों की नियुक्ति ने शिक्षा को संजीवनी दी।

🔹 स्वास्थ्य और पंचायत सशक्तिकरण —
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या, ANM व आशा कार्यकर्ताओं का नेटवर्क और पंचायत प्रतिनिधियों को वित्तीय अधिकार — ये वो बुनियादी बदलाव थे जिनसे गाँव भी जागे।

📊 आंकड़े नहीं झूठ बोलते

जहां 2005 से पहले बिहार की GDP ग्रोथ दर 3% से भी कम थी, नीतीश के कार्यकाल में यह 11% तक पहुंची।
राज्य में बिजली उपभोग प्रति व्यक्ति 50 यूनिट से बढ़कर 300 यूनिट से ऊपर चला गया।
प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन में ऐतिहासिक वृद्धि हुई और सड़कों का जाल 3 गुना फैलाया गया।

🧭 आलोचना के बावजूद स्थिर नेतृत्व

प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकार आज भले ही नीतीश कुमार की आलोचना करें, लेकिन बिहार की जनता ये जानती है कि “बदलाव की पहली ईंट” नीतीश के हाथों से ही रखी गई थी।
उनके आलोचक ये भूल जाते हैं कि यदि आज बिहार में विकास, रोजगार, शिक्षा या शासन की बात होती है — तो उसकी भाषा नीतीश ने ही गढ़ी है।

🏛️ निष्कर्ष: बिहार का आधुनिक निर्माता

नीतीश कुमार ने 2005 में जो शुरुआत की, वह सिर्फ शासन नहीं, संस्कार था।
भ्रष्टाचार, जातिवाद और अपराध के गठजोड़ से जूझते बिहार को उन्होंने संविधान और विकास की पटरी पर डाला।

इसलिए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि —
“नीतीश कुमार के बिना बिहार की वर्तमान कहानी अधूरी है।”

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