Tuesday, July 1, 2025
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ट्रेन में दवा का प्रचार करते व्यक्ति का वीडियो वायरल — एलोपैथिक दवा की अवैध मार्केटिंग पर उठे सवाल | अल्बर्ट डेविड लिमिटेड की छवि खतरे में?

  1. 🚨 ट्रेन में दवा का प्रचार करते व्यक्ति का वीडियो वायरल — एलोपैथिक दवा की अवैध मार्केटिंग पर उठे सवाल | अल्बर्ट डेविड लिमिटेड की छवि खतरे में?

न्यूज़ लहर विशेष रिपोर्ट | 25 जून 2025

 

सोशल मीडिया पर हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री और फार्मा नियामकों की चिंता बढ़ा दी है। वायरल वीडियो में एक व्यक्ति ट्रेन की सामान्य बोगी में यात्रियों को संबोधित करते हुए एक एलोपैथिक दवा का प्रचार करता दिख रहा है। हैरानी की बात यह है कि वीडियो में जो प्रोडक्ट दिखाया गया है, वह देश की प्रतिष्ठित और पुरानी फार्मा कंपनी Albert David Ltd. (अल्बर्ट डेविड लिमिटेड) का बताया जा रहा है।

 

इस घटना ने न सिर्फ जन स्वास्थ्य और मेडिकल एथिक्स को लेकर चिंता बढ़ाई है, बल्कि यह भारतीय ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम (Drugs and Cosmetics Act, 1940) और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 का स्पष्ट उल्लंघन माना जा रहा है।

 

📜 कानून क्या कहता है?

 

भारत में एलोपैथिक दवाओं का प्रचार, विक्रय और वितरण पूरी तरह नियंत्रित और कानून-संशोधित प्रक्रिया के तहत होता है:

✅ कौन प्रचार कर सकता है?

केवल प्रशिक्षित डॉक्टर और मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर  ही अपने मरीज को दवा लिख सकता है।

दवा का प्रचार केवल नियामकीय स्वीकृति के बाद, नॉन-प्रिस्क्रिप्शन (OTC) उत्पादों के लिए ही संभव है।

❌ कौन नहीं कर सकता?

आम नागरिक, अप्रशिक्षित व्यक्ति, ट्रेन/बस में घूमते प्रचारक या किसी भी तरह का पब्लिक मार्केटिंग (विशेषकर प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स के लिए) अवैध है।

📌 प्रासंगिक कानून:

1. Drugs and Cosmetics Act, 1940

1: बिना लाइसेंस, प्रमाणीकरण, या योग्य व्यक्ति द्वारा दवा का विक्रय या वितरण अवैध है।

2. Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954

§ 3 और § 4: किसी भी दवा का प्रचार जो बीमारी के इलाज का दावा करती है, आम जनता के सामने नहीं किया जा सकता।

🧪 दवा की प्रतिष्ठा बनाम सड़कछाप प्रचार

Albert David Ltd., जो वर्षों से चिकित्सा क्षेत्र में एक विश्वसनीय नाम रहा है, के नाम से जुड़ी किसी दवा को इस तरह बिना वैधानिक अनुमति और बिना किसी मेडिकल ऑथरिटी की निगरानी के प्रचारित करना, कंपनी की साख को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।

कंपनी द्वारा अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, परंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि प्रमोशन उनकी जानकारी या नियंत्रण से बाहर हुआ है, तो ब्रांड की साख की रक्षा हेतु स्पष्ट कार्रवाई अपेक्षित है।

⚠️ स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग कंट्रोलर की जिम्मेदारी

यह घटना न सिर्फ एक कानून उल्लंघन है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य के लिए भी सीधा खतरा है। दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के लेना, विशेषकर ट्रेन जैसी अस्थायी परिस्थितियों में, दुष्प्रभाव, एलर्जी या घातक प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय और CDSCO (Central Drugs Standard Control Organization) को इस मामले में जांच कर

वीडियो में दिख रहे व्यक्ति की पहचान,विक्रय की प्रक्रिया,और प्रोडक्ट की आपूर्ति श्रृंखला को खंगालना चाहिए।

भारत जैसे विशाल देश में जहां मेडिकल साक्षरता सीमित है, वहां इस तरह के अवैज्ञानिक और अनैतिक प्रचार न केवल कानून के विरुद्ध हैं, बल्कि जनस्वास्थ्य को भी सीधा खतरे में डालते हैं।

जनहित में सरकार, कंपनी और रेलवे प्रबंधन को मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति ट्रेन में सफर के साथ-साथ ‘दवा’ न परोसे।

(न्यूज लहर वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता)

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