Sunday, July 27, 2025
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बिहार में मतदाता पुनर निरीक्षण अभियान: घुसपैठ के विरुद्ध लोकतंत्र की ढाल

बिहार में इन दिनों एक विशेष मतदाता पुनर निरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) चलाया जा रहा है, जो न केवल चुनावी पारदर्शिता को मजबूत कर रहा है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक सीमाओं की सुरक्षा का अहम औजार बन चुका है। यह पुनर निरीक्षण विशेष रूप से उस खतरे के खिलाफ एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है जो बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के ज़रिए भारतीय मतदाता प्रणाली में सेंध लगाने की आशंका से जुड़ा है।

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किशनगंज: घुसपैठ का संदिग्ध केंद्रबिंदु

किशनगंज—बिहार का सीमावर्ती जिला, जहां मुस्लिम आबादी 70% से अधिक है, इन दिनों सुर्खियों में है। कारण है – यहां अचानक आवासीय प्रमाण पत्रों के लिए बेतहाशा बढ़ा आवेदन। पिछले महीने जहां औसतन 10 हजार प्रमाणपत्र बनते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर लगभग 2 लाख तक पहुंच गई है।

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प्रश्न उठता है — इतनी बड़ी संख्या में अचानक आवासीय प्रमाण पत्र की ज़रूरत क्यों पड़ी?

प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि यह संख्या उन संदिग्ध लोगों से जुड़ी हो सकती है, जो बांग्लादेशी या रोहिंग्या पृष्ठभूमि से होकर बिहार में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं और आवासीय दस्तावेज़ों के जरिए भारतीय मतदाता सूची में अपनी प्रविष्टि दर्ज करवाना चाहते हैं।

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SIR ड्राइव: पारदर्शिता की ओर एक ठोस कदम

चुनाव आयोग ने 25 जून से 26 जुलाई तक यह विशेष अभियान शुरू किया है, जिसमें केवल उन्हीं नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल किया जा रहा है जिनके पास वैध दस्तावेज़ — जैसे भूमि का रिकॉर्ड, पासपोर्ट, बिजली बिल, बैंक स्टेटमेंट आदि मौजूद हैं।

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इस प्रक्रिया में आधार कार्ड को अकेले पर्याप्त प्रमाण नहीं माना जा रहा है, क्योंकि अतीत में आधार के दुरुपयोग की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी साफ कहा है कि यह पुनर निरीक्षण केवल वोटर लिस्ट को शुद्ध करने के लिए नहीं, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा और लोकतंत्र को सुरक्षित रखने का अभियान है।

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फर्जी दस्तावेज़ रैकेट का पर्दाफाश

किशनगंज जिले में हाल ही में एक फर्जी आधार और दस्तावेज़ बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें यह संकेत मिला कि कुछ लोग सोची-समझी साजिश के तहत भारतीय पहचान पत्र प्राप्त कर रहे थे। यह न केवल सुरक्षा खतरा है, बल्कि भविष्य के चुनावों में मतदान अधिकारों के दुरुपयोग की चेतावनी भी।

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विपक्ष का विरोध: निहित स्वार्थ या गलतफहमी?

कुछ राजनीतिक दल इस अभियान को “संविधान विरोधी” या “गैर-जरूरी NRC” कहकर आलोचना कर रहे हैं। लेकिन क्या यह आलोचना वास्तव में देशहित में है?

जब देश के भीतर वास्तविक मतदाताओं के अधिकारों को बचाने और फर्जी पहचान वालों को बाहर रखने की कोशिश की जा रही हो, तब इस अभियान को रोकने की मांग कहीं न कहीं देश के लोकतंत्र के खिलाफ खतरनाक पूर्वग्रह की ओर इशारा करती है।

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क्यों जरूरी है यह पुनर निरीक्षण अभियान?

1. देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए: फर्जी नागरिक पहचान से आतंकवाद, तस्करी और सीमा सुरक्षा में गंभीर खतरे हो सकते हैं।

2. लोकतंत्र की पवित्रता के लिए: केवल वास्तविक भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए।

3. समाजिक संतुलन के लिए: घुसपैठ के जरिए जनसंख्या असंतुलन और संसाधनों पर अनावश्यक बोझ बढ़ सकता है।

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निष्कर्ष: यह कोई राजनीतिक नहीं, राष्ट्रीय अभियान है

मतदाता पुनर निरीक्षण अभियान को रोकना केवल एक प्रशासनिक बाधा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतांत्रिक स्वाधीनता के विरुद्ध आत्मघाती कदम होगा। इस अभियान को पूरी मजबूती से लागू करना समय की मांग है।

अब समय है कि देशवासी जागरूक बनें, अपने क्षेत्र में BLO से संपर्क करें, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की जांच करें, और किसी भी फर्जी प्रविष्टि की रिपोर्ट तुरंत संबंधित अधिकारी को दें।

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क्योंकि,
“कोई भी चुनाव देश की स्वाधीनता से बढ़कर नहीं होता!”

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Source – अभिषेक कुमार जी के फेसबुक बॉल से 

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