श्रावण मास आते ही देशभर की महिलाओं में श्रृंगार का विशेष उत्साह देखने को मिलता है। खासतौर पर मेहंदी लगाना इस माह का एक प्रमुख और प्रिय रिवाज है। जहां धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह शिव भक्ति और सौभाग्य की कामना से जुड़ा हुआ है, वहीं इसके पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी छिपे हुए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।
मेहंदी: एक प्राकृतिक चिकित्सा
मेहंदी की तासीर ठंडी होती है। जब इसे हथेलियों और पैरों पर लगाया जाता है, तो यह शरीर की अंतरिक गर्मी को कम करती है, विशेष रूप से श्रावण जैसी आर्द्र और गर्मियों के बाद की उमस भरी ऋतु में। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे महिलाओं को तनाव और थकान से राहत मिलती है।
हार्मोनल संतुलन और मानसिक शांति
हथेलियों में मौजूद एक्यूप्रेशर बिंदु (Acupressure Points) शरीर के कई अंगों से जुड़े होते हैं। जब उन पर मेहंदी लगती है, तो ये बिंदु ठंडक महसूस करते हैं और इससे महिलाओं के हार्मोनल संतुलन में सुधार होता है। यह खासतौर पर मासिक चक्र और भावनात्मक स्थिरता के लिए लाभकारी होता है।
संक्रमण से सुरक्षा भी
श्रावण के दौरान वातावरण में नमी अधिक होती है, जिससे बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। मेहंदी में पाए जाने वाले प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल तत्व त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं। यह आयुर्वेद में भी उल्लेखित गुण है।
सुगंध, मूड और आत्मविश्वास
मेहंदी की प्राकृतिक खुशबू मन को शांति देती है। Aromatherapy की तरह यह खुशबू महिलाओं को तनाव से राहत देती है और मूड बेहतर बनाती है। साथ ही, हाथों पर खूबसूरत मेहंदी डिज़ाइन आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
परंपरा में छिपी विज्ञान की छाया
भारतीय परंपराएं अक्सर वैज्ञानिक कारणों से जुड़ी होती हैं, और श्रावण में मेहंदी लगाना उसका सुंदर उदाहरण है। यह केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, शांति और सुरक्षा का एक प्राकृतिक उपाय है, जिसे पीढ़ियों से महिलाएं अपनाती आ रही हैं।
श्रावण मास में मेहंदी लगाना केवल सौंदर्य या धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित करने का एक प्राकृतिक व वैज्ञानिक उपाय है। यह परंपरा आज के वैज्ञानिक युग में भी पूरी तरह सार्थक और उपयोगी है।
तो इस श्रावण, जब आप मेहंदी लगाएं — तो गौरव करें कि आप केवल सज नहीं रहीं, बल्कि अपने स्वास्थ्य और मन की भी रक्षा कर रही हैं।