पटना, 23 जुलाई 2025
पटना नगर निगम की महापौर श्रीमती सीता साहू ने हाल ही में घटित एक विवादास्पद घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चार पृष्ठीय पत्र लिखकर गंभीर शिकायत दर्ज कराई है। पत्र में महापौर ने 11 जुलाई 2025 को होटल पनाश में आयोजित नगर निगम की आम बैठक के दौरान उनके पुत्र शुभीर कुमार और परिवार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई और अपमानजनक व्यवहार पर आक्रोश व्यक्त किया है।
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क्या है मामला?
महापौर ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि 11 जुलाई को नगर निगम की बैठक में जब वे उपस्थित थीं, तब नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर और कुछ पार्षद अधिकारियों की उपस्थिति में पहले से तैयार तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित कराने की कोशिश कर रहे थे। सीता साहू के अनुसार, इन प्रस्तावों को स्थायी समिति में पूर्व अनुमोदन नहीं मिला था, और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी। इस पर कथित रूप से बैठक में अव्यवस्था फैल गई और उसे ‘दर्शकों’ से खाली कराने की बात कह दी गई।
महापौर ने आरोप लगाया कि इसके बाद उनके पुत्र शुभीर कुमार जो होटल के लॉबी में अन्य पार्षद प्रतिनिधियों के साथ बैठे थे, उन्हें “हथियार के साथ बैठक में घुसने वाला अपराधी” बताकर मीडिया में बदनाम किया गया। उन्होंने कहा कि शुभीर के पास कोई हथियार नहीं था, और ना ही वे बैठक हॉल में प्रवेश किए।
‘राजनीतिक साजिश और पुलिसिया उत्पीड़न’ का आरोप
महापौर के अनुसार, इस अफवाह के आधार पर एक पार्षद प्रतिनिधि द्वारा उनके पुत्र के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। उसी रात लगभग 7 बजे बिना किसी वारंट के सात पुलिसकर्मी उनके निवास पर पहुंचे और उनके बच्चों को डराया गया। जब उन्होंने कारण पूछा तो जवाब मिला – “ऊपर से आदेश है”।
सीता साहू ने इसे स्पष्ट रूप से राजनीतिक बदले की भावना और प्रशासनिक अतिक्रमण करार देते हुए इसे लोकतंत्र और संवैधानिक मर्यादा के खिलाफ बताया है।
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महापौर ने रखीं चार प्रमुख मांगें
1. यह जांच कराई जाए कि किसके आदेश पर बिना वारंट के छापा मारा गया और पूरे परिवार को मानसिक प्रताड़ना दी गई।
2. नगर आयुक्त से यह स्पष्ट किया जाए कि 80% पार्षदों की उपस्थिति के बावजूद प्रस्ताव पारित क्यों नहीं हुए और बैठक को अवैध क्यों घोषित किया गया।
3. नगर आयुक्त द्वारा मीडिया में दिए गए “घोर भ्रष्टाचार” जैसे बयान पर भी सवाल उठाते हुए इसे महापौर की गरिमा का अपमान बताया।
4. दोषी अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि या उसके परिजन के खिलाफ इस प्रकार की दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई न हो, इसकी गारंटी मांगी है।
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कई बड़े नेताओं को भेजी गई प्रतिलिपि
महापौर ने यह पत्र प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं को भी भेजा है। पत्र के साथ महापौर ने घटना से संबंधित वीडियो फुटेज, समाचार कतरन और दस्तावेज भी संलग्न किए हैं।
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नगर निगम या आयुक्त की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
महापौर के गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक पटना नगर निगम या नगर आयुक्त अनिमेष पराशर की ओर से कोई औपचारिक बयान या प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं की गई है। प्रशासनिक गलियारों में इस पत्र को लेकर हलचल है, लेकिन मौन छाया हुआ है।
राजनीति, प्रशासन और लोकतंत्र के टकराव का प्रतीक बना यह विवाद
यह प्रकरण महज प्रशासनिक असहमति नहीं बल्कि स्थानीय निकायों में कार्यपालिका और निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच अधिकारों के टकराव का प्रतीक बनता जा रहा है। महापौर सीता साहू का यह कदम नगर निकाय राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है—कि क्या अफसरशाही की सक्रियता, जनप्रतिनिधियों की गरिमा पर भारी पड़ रही है?