वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम द्वारा उनके यूट्यूब चैनल “Ajit Anjum Official” पर प्रसारित वीडियो “पटना में ‘SIR’ के लिए दो तरह के फॉर्म क्यों बांटे जा रहे हैं?” को लेकर पटना जिला निर्वाचन कार्यालय ने कड़ी आपत्ति जताई है। प्रशासन ने इसे “एकतरफा, भ्रामक और पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रस्तुति” करार दिया है और पत्रकारिता की बुनियादी मर्यादा की ओर अजीत अंजुम को सख्त शब्दों में आगाह किया है।
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प्रशासन की सख्त टिप्पणी: पत्रकारिता की जिम्मेदारी को न भूलें
जिला निर्वाचन अधिकारी ने जारी पत्र में कहा है:
“आप जैसे वरिष्ठ पत्रकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वे तथ्यों की पुष्टि कर, संतुलित और जिम्मेदार रिपोर्टिंग करें। किंतु आपका हालिया वीडियो तथ्यों के साथ खिलवाड़ करता है और चुनाव जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को संदेहास्पद बनाने का प्रयास करता है।”
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि:
जो फॉर्म वितरित किए जा रहे हैं, वे भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अधिकृत “फॉर्म 3A” हैं।
इनका वितरण विशेष पुनरीक्षण अभियान के तहत प्रवासी, बुजुर्ग, दिव्यांग, बीमार और वंचित वर्ग के मतदाताओं को शामिल करने के लिए किया जा रहा है।
यह प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी है, और इसकी सूचना पूर्व में प्रेस विज्ञप्तियों, सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से दी जा चुकी है।
वीडियो को बताया “जनमत को भ्रमित करने वाला”
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प्रशासन का आरोप है कि अजीत अंजुम ने:
1. बिना किसी प्रशासनिक सत्यापन के सीधे चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जताया।
2. किसी आधिकारिक स्रोत या स्पष्टीकरण का उल्लेख किए बिना वीडियो प्रस्तुत किया।
3. जनता के बीच भ्रम फैलाने वाला नैरेटिव गढ़ा, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था की छवि को क्षति पहुंची।
शिकायत दर्ज, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
बेगूसराय के एक मतदान केंद्र पदाधिकारी ने अजीत अंजुम के इस वीडियो पर औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद यह मामला जांच के दायरे में आ गया है।
प्रशासन ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा है कि:
“यदि इस प्रकार की भ्रामक, अपूर्ण तथ्यों पर आधारित और असंतुलित पत्रकारिता की पुनरावृत्ति होती है, तो जिला प्रशासन कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।”
निष्पक्ष पत्रकारिता: लोकतंत्र की जरूरत
पटना प्रशासन ने दो टूक कहा कि:
“स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की आत्मा है, परंतु यदि यह जिम्मेदारी के साथ न की जाए तो यह लोकतंत्र को कमजोर कर सकती है।
अंत में, प्रशासन ने अजीत अंजुम को उनके दायित्व की याद दिलाते हुए अपील की कि वे भविष्य में अपने मंच का उपयोग तथ्यात्मक, संतुलित और समाजहितकारी पत्रकारिता के लिए करें, न कि सनसनी और संदेह फैलाने के लिए।
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