कस्तूरी यादव
केरल कांग्रेस के सोशल मीडिया हैंडल से किए गए विवादित ट्वीट—“Bidis and Bihar start with B”—ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। ट्वीट में केंद्र सरकार द्वारा बीड़ी पर जीएसटी में कटौती पर तंज किया गया था, लेकिन इसमें बिहार का नाम जोड़ने से इसे सीधा बिहारी अस्मिता पर हमला माना गया।
बिहार की राजनीतिक प्रतिक्रिया
जद(यू) और भाजपा ने इसे बिहार का अपमान बताते हुए कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। जद(यू) के वरिष्ठ नेता संजय झा ने कहा कि कांग्रेस के पास न तो विचार है न ही बुद्धि। भाजपा नेताओं ने भी इसे “बिहारी समाज का अपमान” करार दिया और माफी की मांग की।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जो हाल ही में कांग्रेस के साथ चुनाव आयोग के खिलाफ पदयात्रा में शामिल हुआ था, ने भी इस बयान से पूरी तरह दूरी बना ली। पार्टी नेताओं ने स्पष्ट किया कि बिहार को अपमानित करने वाली किसी भी टिप्पणी का समर्थन नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस (केरल यूनिट) को तीखी आलोचना झेलनी पड़ी और दबाव बढ़ने के बाद ट्वीट हटाना पड़ा। कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भी इस मामले में बैकफुट पर दिखाई दे रही है।
सत्ता–विपक्ष की असामान्य एकजुटता
बिहार की राजनीति में शायद ही कभी ऐसा देखने को मिलता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक ही सुर में बोलें। लेकिन इस मामले ने बिहारियत और क्षेत्रीय अस्मिता को केंद्र में ला दिया है, जिसके कारण जद(यू)-भाजपा और RJD जैसे धुर राजनीतिक विरोधी भी एकजुट नजर आए।
कांग्रेस पर दबाव
कांग्रेस केरल यूनिट की यह “ग़लती” पार्टी को बिहार की राजनीति में अलग-थलग कर रही है। जहां बीजेपी और जद(यू) इसे चुनावी मुद्दा बनाने में जुटे हैं, वहीं RJD भी कांग्रेस से दूरी बनाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश में है। इससे कांग्रेस का राज्यस्तरीय राजनीतिक समीकरण प्रभावित हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषण
यह विवाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के लिए “भावनात्मक मुद्दा” बन गया है।
बीजेपी और जद(यू) इसे “बिहार अस्मिता बनाम कांग्रेस” के नैरेटिव में ढालने की कोशिश करेंगे।
RJD का कांग्रेस से दूरी बनाना साफ़ संकेत है कि विपक्षी एकजुटता की तस्वीर अभी भी नाज़ुक है।
कांग्रेस के लिए यह घटना एक इमेज-क्राइसिस की तरह है, जिससे निकलना आसान नहीं होगा।