बिहार की राजनीति में उस समय खलबली मच गई जब जन सुराज पार्टी के संस्थापक और वरिष्ठ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बड़ा और सनसनीखेज दावा किया। किशोर ने आरोप लगाया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का नाम राजेश साह हत्याकांड से जुड़ा है। उन्होंने यह दावा करते हुए कहा कि अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो जन सुराज पार्टी पूरे बिहार में जन आंदोलन छेड़ेगी।
Bihar Politics: इस हमाम में सब नंगे हैं, चाहे भाजपा हो या आरजेडी: प्रशांत किशोर का बड़ा आरोप
क्या कहा प्रशांत किशोर ने?
प्रशांत किशोर ने पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा:
“राजेश साह की हत्या में जिस तरह के लोगों के नाम आ रहे हैं, उनमें सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं के करीबी और खुद दिलीप जायसवाल की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। अगर 72 घंटे के अंदर निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो जन सुराज पूरे बिहार में आंदोलन करेगा।”
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उन्होंने आगे यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है और यह हत्या सिर्फ व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं, बल्कि राजनीतिक मिलीभगत का नतीजा है।
क्या मामला है राजेश साह हत्याकांड? क्यों निशाने पर हैं दिलीप जायसवाल?
बीजेपी का जवाब
दिलीप जायसवाल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
“यह सब प्रशांत किशोर की हताशा का परिणाम है। उन्हें राजनीतिक जमीन नहीं मिल रही, इसलिए अब वह सस्ती लोकप्रियता के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। मैं इस तरह की ओछी राजनीति में विश्वास नहीं करता। कानून अपना काम करेगा।”
बीजेपी के प्रवक्ताओं ने इसे एक “राजनीतिक नौटंकी” करार देते हुए कहा कि जन सुराज का उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है।
राजेश साह हत्याकांड क्या है?
राजेश साह, पटना जिले के चर्चित समाजसेवी और ठेकेदार थे, जिनकी पिछले सप्ताह गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना दिनदहाड़े हुई थी, जिससे राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए। पुलिस ने अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन हत्या की साजिश के पीछे की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच जन सुराज पार्टी ने राज्यपाल से मिलकर इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है। प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि यदि जांच में देरी हुई तो वे पूरे राज्य में जन अदालत अभियान चलाएंगे।
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बिहार की राजनीति में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, ऐसे आरोप और बयानबाजी से सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे ने साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक बयान और आंदोलन काफी उग्र हो सकते हैं।