Sunday, July 27, 2025
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धोखेबाजी: आदमी एक, दो सरकारी नौकरी: लोहरा भगत की दोहरी नौकरी की कहानी, CBI कोर्ट द्वारा सजा

एक आदमी, दो नाम — लोहरा भगत और ललित भगत

पटना के डाक विभाग में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सरकारी व्यवस्था की निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए। लोहरा भगत, जो डाक विभाग में वरिष्ठ लेखाकार (Senior Accountant) के पद पर कार्यरत थे, उन्होंने अपने ही नाम के साथ एक और नकली पहचान – “ललित भगत” गढ़ी और एक ही विभाग में दूसरी नौकरी भी प्राप्त कर ली।

मामला 2010 से 2013 का हैं। इस दौरान वे एक ही समय में दोनों पदों पर कार्यरत रहे, दोनों नामों से वेतन और भत्ते प्राप्त करते रहे।
उन्होंने अपने इस जालसाज चरित्र “ललित भगत” के नाम से फर्जी पहचान पत्र, बैंक खाता, सेवा पुस्तिका, और यहां तक कि पेंशन लाभ हेतु आवेदन भी तैयार कर लिए।

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संदेह की शुरुआत — पेंशन रिकॉर्ड में विसंगति

सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था — लेकिन कहते हैं न, “झूठ के पैर नहीं होते।” कभी न कभी तो सामने आता ही है।वर्ष 2013 में डाक विभाग के पेंशन अनुभाग को दो अलग-अलग कर्मचारियों के नाम पर वेतन भुगतान और पेंशन प्रोसेसिंग के रिकॉर्ड में कुछ अजीब लगा।

एक ही पिता का नाम, स्थायी पता, जन्मतिथि और फोटो — यह सब देखकर विभाग के एक अनुभवी अधिकारी को शक हुआ। और मामला तुरंत आंतरिक सतर्कता शाखा (Vigilance Unit) को भेजा गया।

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CBI को सौंपी गई जांच — परत-दर-परत खुलती गई साजिश

जब मामला गंभीर प्रतीत हुआ और स्पष्ट रूप से सरकारी धन के गबन का संकेत मिला, तो विभाग ने इसे CBI को सौंप दिया। CBI ने प्राथमिक जांच के बाद FIR दर्ज की और 2020 में आधिकारिक जांच शुरू की।

लोहरा भगत और ललित भगत — दोनों नामों से अलग-अलग नियुक्ति पत्र, सेवा पुस्तिका, और बैंक खाते मौजूद थे।

आधार और बायोमेट्रिक जानकारी से पता चला कि दोनों व्यक्ति एक ही हैं।

उन्होंने “ललित भगत” के नाम से नकली शैक्षणिक प्रमाणपत्र, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनवाया था।

2010 से 2013 तक उन्होंने दोनों पदों से संयुक्त रूप से ₹3.4 लाख वेतन और भत्ते प्राप्त किए और ₹14.8 लाख पेंशन लाभ के लिए दावा किया था।

CBI ने 2021 में सीबीआई कोर्ट में इस मामले में विस्तार से चार्जशीट दाखिल की और मामला विशेष CBI अदालत में प्रस्तुत किया गया।

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CBI कोर्ट द्वारा सजा

लगभग दो वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद, विशेष सीबीआई न्यायाधीश श्री अंजनी कुमार शरण की अदालत ने लोहरा भगत को दोषी करार दिया।
अदालत ने माना कि यह धोखाधड़ी सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र से भी विश्वासघात है।

दो वर्षों की लंबी सुनवाई के बाद, विशेष सीबीआई न्यायाधीश श्री अंजनी कुमार शरण ने आरोपी लोहरा भगत उर्फ ललित भगत को 2 वर्ष का कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) और ₹1.10 लाख का जुर्माना लगाया है

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