पटना, 20 अगस्त 2025।
भारत निर्वाचन आयोग ने उन गैरमान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties – RUPPs) पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जिन्होंने वर्ष 2019 के बाद से अब तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया है और जिनका कोई भौतिक कार्यालय देशभर में अस्तित्व में नहीं पाया गया है।
आयोग ने ऐसे दलों को कारण-पृच्छा नोटिस जारी कर तथ्यों पर आधारित प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया है। इसी क्रम में जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिलाधिकारी, पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने पटना जिलान्तर्गत 5 पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को नोटिस की विधिवत तामिला कराने और 24 घंटे के भीतर प्रतिवेदन देने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिया है।
यदि किसी कारणवश नोटिस की तामिला नहीं हो पाती है, तो संबंधित पदाधिकारी को स्पष्ट प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होगा।
पटना जिले के 5 RUPPs को नोटिस
1. भारतीय युवा जनशक्ति पार्टी – रोज़ी अनीमा XTTI, अखंड ज्योति अस्पताल के पास, दीघा, पटना।
नोटिस तामिला अधिकारी – कार्यपालक पदाधिकारी, पाटलिपुत्रा अंचल, नगर निगम, पटना।
2. एकता विकास महासभा पार्टी – सिन्हा सदन, एल.सी.टी. घाट, ईस्ट मेनपुरा, थाना- पाटलिपुत्र कॉलोनी, पटना।
नोटिस तामिला अधिकारी – कार्यपालक पदाधिकारी, पाटलिपुत्रा अंचल, नगर निगम, पटना।
3. गरीब जनता दल (सेक्युलर) – मित्र मंडल कॉलोनी, साकेत विहार, अनीसाबाद, पटना।
नोटिस तामिला अधिकारी – कार्यपालक पदाधिकारी, नूतन राजधानी अंचल, नगर निगम, पटना।
4. राष्ट्रीय सदाबहार पार्टी – 72 तुलसी मंडी, होटल महारानी, महारानी चौक, पोस्ट गुलजारबाग, थाना आलमगंज, पटना सिटी।
नोटिस तामिला अधिकारी – अवर निर्वाचन पदाधिकारी, पटना सिटी।
5. यंग इंडिया पार्टी – होल्डिंग नं. 128/113, आर्य कुमार रोड, मछुआटोली, थाना कदमकुआं, पटना।
नोटिस तामिला अधिकारी – कार्यपालक पदाधिकारी, बांकीपुर अंचल, नगर निगम, पटना।
डीलिस्टिंग से पहले सुनवाई का अवसर
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी राजनीतिक दल को अनुचित रूप से डीलिस्ट न किया जाए, इसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया जा रहा है। इसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा संबंधित दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ही लिया जाएगा।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई
गौरतलब है कि देश में राष्ट्रीय, राज्य और गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अंतर्गत होता है। आयोग की यह कार्रवाई उन दलों की पहचान और डीलिस्टिंग के लिए की जा रही है, जो वर्ष 2019 के बाद किसी भी लोकसभा, विधानसभा या उपचुनाव में सक्रिय नहीं रहे और जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं पाया गया।