स्थानीय निकायों में उपमुख्य पार्षदों की भूमिका को सशक्त करने की अपील, आंदोलन की चेतावनी भी दी
पटना, 19 जुलाई 2025:
बिहार के नगर निकायों में कार्यरत उपमुख्य पार्षदों ने शनिवार को राजधानी पटना स्थित कौशल्या स्टेट में एक अहम संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर अपनी उपेक्षित भूमिका पर चिंता जताई और राज्य सरकार से अपने अधिकारों को लेकर सात सूत्री मांगों को सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष पिंटू रजक ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“हम उपमहापौर, उपाध्यक्ष एवं उपमुख्य पार्षद केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं। हमारे पास कोई प्रभावी अधिकार नहीं है, जबकि जनता की अपेक्षाएं भी हमसे जुड़ी रहती हैं। राज्य सरकार से हमने व्यावहारिक और न्यायसंगत मांगें रखी हैं।”
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पिंटू रजक ने यह भी कहा कि पिछले दो वर्षों में उपमुख्य पार्षद लगातार संघर्षरत रहे हैं। उन्होंने पूर्व नगर विकास मंत्रियों तेजस्वी यादव, नितिन नवीन, सम्राट चौधरी और वर्तमान मंत्री श्री जीवेश मिश्रा से कई बार मुलाकात कर अपनी बातें रखी हैं, लेकिन कोई ठोस पहल अब तक नहीं की गई।
> “यदि सरकार ने समय रहते हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो हमें आंदोलनात्मक रुख अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा,” उन्होंने चेताया।
उपमुख्य पार्षदों की 7 प्रमुख मांगें:
1. नगर निकाय की सभी संचिकाओं में उपमुख्य पार्षद को अनुमोदन देने का अधिकार मिले, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
2. उपमुख्य पार्षद को ₹5 करोड़ तक की योजनाओं के चयन एवं क्रियान्वयन का अधिकार मिले, जिससे वे जनता की प्राथमिकताओं पर कार्य कर सकें।
3. जनप्रतिनिधियों को आर्म्स लाइसेंस की सुविधा दी जाए, ताकि उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित हो।
4. उपमुख्य पार्षद का मासिक भत्ता ₹25,000 किया जाए, जिससे वे अपने पद की गरिमा के अनुरूप काम कर सकें।
5. नगर पंचायत स्तर के उपमुख्य पार्षदों को वाहन भत्ता दिया जाए, ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में आसानी से भ्रमण कर सकें।
6. सशक्त स्थायी समिति के गठन में उपमुख्य पार्षद को शामिल किया जाए, जिससे निर्णयों में उनकी भागीदारी हो।
7. 20 सूत्री कार्यक्रम, दिशा योजना और मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना में उपमुख्य पार्षदों को सदस्य नामित किया जाए, ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में उनकी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित हो।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोषाध्यक्ष रिंकू कुमार, कन्हैया सिंह, अनिकेत कुमार अंशु, ऋषिकेश जी, और फारूक जी भी उपस्थित रहे। सभी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार इन मांगों को जल्द नहीं मानती है तो राज्यभर के उपमुख्य पार्षद संघर्ष तेज कर देंगे।
यह प्रेस वार्ता स्थानीय स्वशासन व्यवस्था में उपमुख्य पार्षदों की भूमिका को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। यदि सरकार इन मांगों पर विचार करती है, तो इससे स्थानीय शासन प्रणाली अधिक सशक्त, पारदर्शी और जनता के प्रति जवाबदेह बन सकेगी।