बिहार सरकार ने औद्योगिक विकास को गति देने के लिए ‘बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण’ (BIADA) द्वारा ‘बियाडा एमनेस्टी पॉलिसी, 2025’ की घोषणा की है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों को फिर से चालू करने और उनसे जुड़े तमाम विवादों का समाधान करके नया औद्योगिक वातावरण तैयार करना है। इससे राज्य में आर्थिक गतिविधि और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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नीति के प्रमुख बिंदु
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एकमुश्त मौका: यह नीति एक बार का मौका है, जिसके लिए आवेदन 31 दिसंबर 2025 तक किए जा सकते हैं।
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समस्त आवंटियों के लिए: वे सभी आवंटी, जिनकी औद्योगिक इकाइयां निष्क्रिय/बंद हैं, नीति का लाभ उठा सकते हैं। इसमें पुराने विवादों का भी समाधान किया जाएगा।
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नई औद्योगिक गतिविधियाँ: नीति के तहत सभी पात्र लोगों को नई औद्योगिक गतिविधि, पार्क, सर्विस सेक्टर आदि में बदलाव का अवसर मिलेगा।
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उद्योग योजना में बदलाव: नीति लागू होने पर उद्यमियों को अपनी योजनाओं में आवश्यक परिवर्तन करने की अनुमति भी मिलेगी।
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प्रमुख प्रावधान
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पात्रता: सभी बंद इकाइयाँ (सिवाय उन मामलों के, जहां जमीन अधिग्रहित की जा चुकी हो) इस नीति के तहत आवेदन कर सकती हैं।
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आवेदन प्रक्रिया: एक निर्धारित प्रारूप, दस्तावेज़ी प्रमाण और शुल्क का भुगतान करके आवेदन किया जा सकता है।
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BIADA की जिम्मेदारी: आवेदन प्राप्त करने के बाद 7 कार्य दिवस के भीतर पूरा प्रक्रिया की जाएगी और अंतिम निर्णय 7 दिनों में BIADA द्वारा लिया जाएगा।
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शुल्क एवं चार्जेज
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प्रशासनिक शुल्क: कुल बकाया भूमि शुल्क का 1% प्रशासनिक शुल्क लागू होगा।
उम्मीदें और असर
सरकार का मानना है कि इस एमनेस्टी पॉलिसी के जरिए पूरे बिहार में उद्योगों को पुनर्जीवित कर नए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकेंगे। नीति का मुख्य संदेश है — “रफ्तार पकड़ चुका है बिहार, हर घर उद्योगी, हर घर रोजगार”। राजनीतिक प्रचार मूलतः औद्योगिक विकास को बिहार में स्थायी और प्रभावी बनाने पर केंद्रित है।
यह नीति बिहार के औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है, खासकर उन व्यापारियों और उद्यमियों के लिए जो पूंजी और अवसर की कमी के चलते पिछड़ गए थे। अगर इस अवसर का सही उपयोग हुआ, तो राज्य की आर्थिक तस्वीर बदल सकती है।