Sunday, July 27, 2025
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पटना में फिर हत्या: विधानसभा चुनाव से पहले पटना बना अपराधियों का रणक्षेत्र, साजिश या सुस्त तंत्र?

पटना, 12 जुलाई 2025
राजधानी पटना में लगातार हो रही सिलसिलेवार हत्याओं ने न केवल आम जनता बल्कि राज्य प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है। ताजा घटना में “तृष्णा मार्ट” के मालिक विक्रम झा को अपराधियों ने दिनदहाड़े गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। यह कोई पहली वारदात नहीं है — बीते कुछ हफ्तों में पटना जैसे शहर में एक के बाद एक कई चर्चित हस्तियों की हत्या की जा चुकी है।

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लगातार हत्याओं ने खोली कानून-व्यवस्था की पोल

पिछले महीने गोपाल खेमका की हत्या ने पटना के व्यापारिक वर्ग में डर का माहौल बना दिया था।

इसके बाद दानापुर के सगुना मोड़ के निकट लेखा नगर में एक स्कूल संचालक को भी गोलियों से भून दिया गया।

बालू कारोबारी की हत्या ने उद्योग जगत में खलबली मचा दी।

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अब विक्रम झा की मौत ने यह साबित कर दिया है कि अपराधी बेखौफ हैं, और पुलिस की तत्परता अपराधियों के इरादों को कमजोर नहीं कर पा रही।

एनकाउंटर और गिरफ्तारी के बावजूद सिलसिला जारी

क्राइम कंट्रोल को लेकर पटना पुलिस ने कोशिशें तेज की हैं।

गोपाल खेमका हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार सप्लायर राजा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया।

सिर्फ तीन-चार दिन में ही इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड को गिरफ्तार भी कर लिया गया।

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लेकिन इन सफलताओं के बावजूद विक्रम झा की हत्या यह दर्शाती है कि पुलिस के डर की पकड़ अभी भी अपराधियों तक नहीं पहुंच सकी है।

क्या यह महज अपराध है या चुनावी साजिश?

इन सभी घटनाओं की टाइमिंग पर अगर गौर करें, तो यह किसी संयोग से अधिक साजिश का संकेत देती है।
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे समय में लगातार हो रही हाई-प्रोफाइल हत्याएं एक बड़ी योजना का हिस्सा भी हो सकती हैं।
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह सब एक संगठित तरीके से किया जा रहा है ताकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को विफल और असहाय दिखाया जा सके।

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जनता में बढ़ रहा डर और असंतोष

शहर में आम नागरिकों, व्यापारियों और संस्थान संचालकों में भय का माहौल बन गया है।
सरकार और प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी बढ़ रहा है, और विपक्ष लगातार इन घटनाओं को मुद्दा बनाकर जनता का भरोसा तोड़ने में लगा है।

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पटना में लगातार हो रही हत्याएं केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक खेल की ओर भी संकेत कर रही हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इसे “अपराध” मानकर चलता है या “साजिश” के रूप में इसे उजागर करने की हिम्मत करता है।

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