पटना। पटना नगर निगम की महापौर श्रीमती सीता साहू ने उनके विरुद्ध लगाए गए कार्यवाही में छेड़छाड़ के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे राजनीतिक द्वेष और समिति पुनर्गठन के बाद की कुंठा बताया है।
महापौर द्वारा अंग्रेजी में लगभग १० पृष्ठों में जारी विस्तृत स्पष्टीकरण में कहा गया है कि 31 जनवरी 2025 को Empowered Standing Committee (ESC) की बैठक में प्रस्ताव संख्या 14, 36 और 38 पर विधिवत चर्चा हुई और सभी प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए थे। बैठक की कार्यवाही पर 27 मार्च 2025 को नगर सचिव द्वारा हस्ताक्षर कर संबंधित पार्षदों को भेजी भी गई थी, लेकिन तीन महीने तक किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
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महापौर के अनुसार, यह केवल ESC के पुनर्गठन के बाद, जब कुछ पार्षद समिति से बाहर हो गए, तब आरोप लगाए गए। इनमें से दो पार्षद खुद उस दिन की बैठक में उपस्थित थे और कार्यवाही की प्रति भी प्राप्त कर चुके थे।
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प्रमुख प्रस्तावों में नगर निगम के अधिवक्ताओं के नए पैनल का गठन, पूर्व अनुमोदन के बिना योजनाओं को लागू करने से रोक और Amazing India Contractors Pvt. Ltd. के एकतरफा अनुबंध रद्द करने जैसी घटनाओं पर निर्णय से जुड़ी बातें शामिल थीं।
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महापौर ने यह भी स्पष्ट किया कि इन प्रस्तावों से किसी भी पार्षद या स्वयं उन्हें कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ और सभी प्रस्ताव नगर निगम के हित में लिए गए।
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महापौर ने यह भी जोड़ा कि 25 जून 2025 की आम बैठक में कुछ पार्षदों द्वारा व्यवधान उत्पन्न किया गया, जिससे प्रस्तावों पर निर्णय अगली बैठक तक टालना पड़ा। इसके बाद 4 जुलाई को महापौर ने नगर सचिव से स्पष्टीकरण मांगा।
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महापौर ने आरोपों को “संवैधानिक संस्था पर प्रश्न उठाने की साजिश” करार देते हुए कहा कि बिना किसी प्रमाण के लगाए गए ऐसे आरोप लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध हैं।