लोकगायिका नेहा सिंह राठौड़ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और इसकी जांच जरूरी है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस ने नेहा सिंह राठौड़ के खिलाफ भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने सहित कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। यह एफआईआर उनके पहलगाम आतंकी हमले पर किए गए कथित ‘उकसाने वाले’ सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (नेहा) को अब मुकदमे का सामना करना होगा, और यदि उन्हें कुछ धाराओं पर आपत्ति है, तो वे इसे आरोप तय होने के समय या आरोपमुक्ति की अर्जी के दौरान उठा सकती हैं।
कोर्ट ने साफ कहा — “हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दी है, लेकिन फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती।”
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि एक ट्वीट के लिए किसी पर “देशद्रोह या विद्रोह” जैसे गंभीर आरोप लगाना अनुचित है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत देने से इनकार किया।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह रुख उन सभी लोगों के लिए सख्त संदेश है जो सोशल मीडिया को अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर मनमानी का मंच बना देते हैं। अदालत ने यह साफ कर दिया है कि आज़ादी की सीमा कानून से ऊपर नहीं हो सकती।
अब नेहा सिंह राठौड़ को इस पूरे मामले में निचली अदालत में मुकदमे का सामना करना होगा।
