Monday, July 28, 2025
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पटना स्मार्ट सिटी योजनाओं पर जलजमाव ने उठाए सवाल

पटना, 28 जुलाई 2025 –

बिहार की राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी में तब्दील करने के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। मेट्रो, स्मार्ट सड़कों, हाईटेक पार्किंग, आधुनिक लाइटिंग, वाई-फाई जोन जैसी कई योजनाओं के उद्घाटन हो चुके हैं। बावजूद इसके, मात्र 12 घंटे की भारी बारिश ने शहर के 150 से अधिक मोहल्लों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया। शहर का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र बचा जहाँ नागरिकों को जल जमाव और आवागमन की दिक्कत न झेलनी पड़ी हो।

स्मार्ट सिटी के सपनों पर पानी

हालात इतने विकट हैं कि राजधानी के प्रमुख इलाके – कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, कदमकुआं, दरियापुर, पटना जंक्शन, गर्दनीबाग – हर जगह सड़कें और गलियां पानी में डूबी हैं। कई जगह घरों के अंदर, अस्पतालों, स्कूलों और दफ्तरों तक पानी घुस गया। ट्रैफिक परिवहन और आपातकालीन सेवाएं ठप हो गईं, और रेलवे ट्रैक से लेकर हवाई अड्डे तक जलजमाव ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं।

अधूरी योजनाएँ और प्रशासनिक सुस्ती

विशेषज्ञों का मानना है कि पटना में जलजमाव का मुख्य कारण –

  • पुराना और खराब ड्रेनेज सिस्टम

  • नालों की सफाई में लापरवाही

  • बिना प्लानिंग के सड़क, भवन और पाइपलाइन का निर्माण

  • निचले क्षेत्र में बेतरतीब बसावट
    इन सभी समस्याओं को दूर किए बिना स्मार्ट सिटी का सपना व्यवहार में अधूरा ही रह जाता है।

बिना जमीनी सुधार के ऊपर-ऊपर की पहल

कई योजनाएँ तैयार कर ली गईं हैं, लेकिन:

  • नालों का कचरा हटाने,

  • पानी की निकासी के पुर्ननिर्माण या आधुनिकीकरण,

  • अवैध अतिक्रमण हटाने,

  • और स्थानीय निकायों की जवाबदेही तय करने जैसे बुनियादी काम अधूरे हैं।

सिर्फ चमकदार योजनाओं की घोषणा करने से शहरी जीवन गुणवत्ता नहीं सुधरती, जब तक जमीन पर संरचनात्मक सुधार और जरूरतमंद क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित न किया जाए।

नागरिकों का क्या कहना है?

जल जमाव से परेशान पटना वासियों का कहना है कि प्रशासन हर साल मौसम आने पर भरोसा दिलाता है, पर हर साल वही बेहाली दोहराई जाती है। स्मार्ट सिटी का पैसा किस काम का जब बुनियादी जल निकासी नै हो? जनता अब योजनाओं के बजाय परिणाम देखना चाहती है।

पटना में स्मार्ट सिटी के नाम पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स और योजनाओं में खर्च तो दिख रहा है, मगर बुनियादी समस्याओं का समाधान किए बिना ये सब नागरिकों के लिए राहत की जगह परेशानी का कारण बनते जा रहे हैं। जल निकासी से लेकर शहरी नियोजन तक, सधे और ठोस उपायों के बिना स्मार्ट सिटी का सपना फिलहाल अधूरा ही नज़र आता है।

 

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