पटना।
रेल मंत्रालय चाहे जितने डिजिटल इंडिया, पारदर्शिता और जवाबदेही के कसीदे पढ़ ले, लेकिन ज़मीन पर हकीकत कुछ और ही है। पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर रेल मंडल का वाणिज्य विभाग RTI के जवाब में एक बार फिर अपनी “असाधारण” शैली में क़ाबिल-ए-तारीफ़ लापरवाही का प्रदर्शन कर बैठा।
तुषार गांधी जी, आप गांधी जी के वंशज हैं और करनी आपकी नाथूराम गोडसे जैसी, आप तुरंत यहां से चले जाएं!”
केंद्र सरकार के सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक नागरिक द्वारा पटना जंक्शन स्टेशन से संबंधित कई बुनियादी जानकारियाँ मांगी गईं। आवेदन दिल्ली से चलकर जैसे-तैसे दानापुर प्रमंडल पहुंचा। वहां से जवाब भी आया — पर ऐसा जैसे कोई बच्चा होमवर्क भूल गया हो और मास्टर से कह रहा हो, “सर! ये तो मेरी कॉपी ही नहीं थी…”
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RTI में पूछे गए थे कुछ सीधे-साधे सवाल:
1. पटना जंक्शन पर मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की बोगियों के सामने बोगी इंडिकेटर क्यों नहीं हैं?
2. पटना जंक्शन के लिए नई योजनाएं और चल रही परियोजनाएं कौन-कौन सी हैं?
3. स्टेशन पर दैनिक खर्च किन मदों में होता है?
4. अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक हर महीने की:
मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या
उनसे हुई कमाई
पैसेंजर/EMU ट्रेनों की यात्री संख्या और आय
लेकिन जवाब में क्या मिला?
दानापुर वाणिज्य विभाग ने पहले तीन सवालों पर बड़ी शालीनता से कहा –
“यह जानकारी हमारे विभाग से संबंधित नहीं है!”
वाह! तो क्या पटना जंक्शन अब किसी प्राइवेट कंपनी के अंतर्गत चला गया है?
चौथे सवाल पर जबरदस्त जवाब आया:
एक बिना सिग्नेचर और बिना स्टांप वाला टाइप किया गया पन्ना जिसमें कुछ आंकड़े थे — न जाने किस Excel शीट से कॉपी किए गए। आरटीआई कानून और प्रक्रिया के नाम पर यह पत्र ऐसा था जैसे बच्चे ने बिना हस्ताक्षर के खुद का रिपोर्ट कार्ड बना लिया हो।
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अधिकारियों से संपर्क किया तो…
जब आवेदक ने पटना जंक्शन के वरिष्ठ रेल अधिकारियों से संपर्क किया, तो उनका कहना था –
“भईया, ये RTI का जवाब तो फर्जी दिखता है, दानापुर वाणिज्य विभाग कोई घोंचू थोड़े ही है जो बिना सिग्नेचर और मुहर के कागज थमा देंगे!”
…लेकिन यही घोंचूपन अगर असली था तो?
बोगी इंडिकेटर पर सफाई और सच्चाई:
जब बोगी इंडिकेटर की बात हुई, तो पटना जंक्शन के अधिकारी बोले:
“आपकी जानकारी गलत है, हर प्लेटफॉर्म पर बोगी इंडिकेटर हैं!”
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जनता पूछ रही है — कहाँ हैं बाबू साहेब? कौन से प्लेटफॉर्म पर?
असल में, या तो ये अधिकारी अपने AC केबिन में ही स्टेशन को ब्रह्मांड मान बैठे हैं, या फिर कुंभकर्ण की नींद से उठकर सीधे प्रेस बयान दे देते हैं। जो बोगी इंडिकेटर कुंभ मेले से पहले तक स्टेशन पर थे, अब गायब हैं — और साहब लोग कहते हैं सब कुछ चालू हालत में है।
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रेलवे के आंकड़े के अनुसार ही पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन 10 से 15 000 यात्री मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में सफर करते है। स्टेशन पर जनरल बोगी कहा है, थ्री टायर स्लीपर बोगी की स्थिति, एसी थ्री टायर, टू टायर, फर्स्ट क्लास बोगी कहा है। यह सब बोगी इंडिकेटर से यात्रियों को ट्रेन आने से पहले ही पता चल जाता है। और यात्री ट्रेन आने के पहले ही अपने आरक्षित बोगी के सामने बोगी इंडिकेटर की मदद से खड़े रहते है।
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यह सुविधा देश के हर प्रमुख स्टेशनों पर उपलब्ध है। लेकिन पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध नहीं है। और यह स्थिति कुंभ मेले के पहले से बनी है। लेकिन पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी इस समस्या से अनभिज्ञ है।
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हकीकत कड़वी है:
रेल मंत्रालय की नजरों में शायद पटना जंक्शन “दोयम दर्जे” का स्टेशन है — तभी यहां न इंडिकेटर हैं, न जवाबदेही, और न ही RTI का सम्मान।
जो यात्री प्रतिदिन बदइंतजामी के बीच यात्रा करते हैं, उनके लिए न सुविधा है न सहानुभूति — बस आरटीआई में “ये हमारे विभाग का नहीं है” कह देने की सरकारी कला शेष है।