पटना, 9 जुलाई 2025।
राजधानी पटना के चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका हत्याकांड में हथियार सप्लाई करने के आरोपी विकास उर्फ राजा की कथित पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है। मृतक राजा के परिजनों — मां शांति देवी, पिता प्रदीप प्रसाद और दादी — ने इस एनकाउंटर को “फर्जी” करार देते हुए सुपारी किलिंग से जुड़ी असल साजिश को छिपाने की साजिश बताया है।
गोपाल खेमका हत्याकांड: शूटर और साजिशकर्ता गिरफ्तार, पर अब तक हत्या का ठोस कारण अज्ञात
एनकाउंटर की पृष्ठभूमि
बिहार के चर्चित कपड़ा व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या 30 जून 2025 को पटना सिटी में कर दी गई थी। इस मामले में शूटर उमेश यादव, मास्टरमाइंड बिल्डर अशोक साह, और कथित हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा को पुलिस ने चिन्हित किया।
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पुलिस का दावा है कि विकास ने खेमका की हत्या के लिए उमेश को हथियार उपलब्ध कराए थे।
8 जुलाई की सुबह, Damaria Ghat (पटना) में STF और पटना पुलिस की संयुक्त टीम ने विकास को घेर लिया, जहाँ कथित रूप से उसने पुलिस पर फायरिंग की और जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
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परिवार का बयान: “बेटे को घर से उठाकर मारा गया”
मृतक विकास के परिजनों ने पुलिस की मुठभेड़ कहानी को सिरे से खारिज कर दिया है।
मां शांति देवी का आरोप है कि:
> “मेरा बेटा चेन्नई में काम करता था। एक सप्ताह पहले ही घर लौटा था। सोमवार को मालसलामी के दाऊदचक नगला स्थित किराये के मकान से चार–पांच लोग जो खुद को पुलिस बता रहे थे, उसे ‘नहा धोकर तैयार होने’ और ‘नाश्ता कर लेने’ को बोले और साथ ले गए। अगले दिन पता चला कि राजा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।”
मां ने यह भी बताया कि राजा के पेट, छाती, पीठ, कंधे और कमर के पीछे हिस्से में गोलियाँ लगी हैं, जिससे यह आत्मरक्षा में नहीं बल्कि पारंपरिक तरीके से मुठभेड़ दिखाकर सुनियोजित हत्या प्रतीत होती है।
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पिता प्रदीप प्रसाद ने कहा कि:
“हम पहले ही एक बेटा खो चुके हैं — 15 अगस्त 2015 को बड़े बेटे शुभम की हत्या कर दी गई थी। अब राजा को भी छीन लिया गया।”
दादी ने भी पुलिस कार्रवाई को “सरासर झूठ” करार दिया और न्यायिक जांच की माँग की।
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एक दृश्य और सबूत
मीडिया में सामने आई तस्वीरों में पुलिस गाड़ियों, फोर्स और एक बाईक के साथ STF टीम को Damaria Ghat क्षेत्र में दिखाया गया है।
घटनास्थल से एक देसी पिस्टल, जिंदा कारतूस और एक खाली खोखा मिला है।
राजा के पार्थिव शरीर पर पीठ और पेट दोनों ओर गोली के निशान पाए गए हैं — जिससे पुलिस की आत्मरक्षा वाली थ्योरी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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राजनीतिक बवाल: विपक्ष ने पुलिस को घेरा
RJD सांसद पप्पू यादव ने कहा:
“जिसके पास गोली चलाने की क्षमता नहीं थी, उसे हत्या का हिस्सा बनाकर एनकाउंटर में मारना एक सोची-समझी रणनीति है। यह न्याय की हत्या है।”
राजद प्रवक्ता मनोज झा ने भी एनकाउंटर की निष्पक्षता पर सवाल उठाया और SIT की निगरानी में निष्पक्ष जांच की माँग की।
सरकारी पक्ष (BJP–JDU) ने पुलिस की कार्रवाई को “तेज़, सटीक और ज़रूरी” बताया है, परंतु पारदर्शी जांच का आश्वासन दिया है।
पुलिसिया जांच और प्रगति
अब तक इस मामले में:
शूटर उमेश यादव गिरफ्तार हो चुका है। उसने कबूल किया कि खेमका की हत्या ₹4 लाख की सुपारी में की गई — ₹50,000 एडवांस और बाकी काम के बाद।
बिल्डर अशोक साह, जो जमीन विवाद में खेमका से नाराज था, मुख्य मास्टरमाइंड है।
राजा पर आर्म्स एक्ट और हत्या के पुराने मामले पहले से दर्ज थे, पर परिजनों के मुताबिक पिछले कुछ सालों से वह ‘शांत जीवन’ जी रहा था।
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बिहार पुलिस ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है जो एनकाउंटर की परिस्थितियों, गोलीबारी की दिशा, मेडिकल रिपोर्ट और घटनास्थल के ऑडिट पर काम कर रही है।
गोपाल खेमका की हत्या के बाद बिहार पुलिस ने जहाँ अपराधियों के खिलाफ तेज़ कार्रवाई की है, वहीं कथित एनकाउंटर में मारे गए विकास उर्फ राजा के परिवार ने सत्ता और पुलिस तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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यह मामला अब सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं, बल्कि न्याय, कानून के दायरे में मुठभेड़ की वैधता, और सियासी हस्तक्षेप की बहस का केंद्र बन गया है।