पटना,
राजधानी पटना के चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका की 4 जुलाई की रात हुई हत्या को लेकर पुलिस ने भले ही शूटर उमेश यादव और कथित साजिशकर्ता अशोक शाहू को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन हत्या के वास्तविक कारण पर अब भी धुंध साफ नहीं हो पाई है।
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डीजीपी विनय कुमार ने मंगलवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मामले का खुलासा करते हुए कई अहम जानकारियाँ साझा कीं, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि हत्या का ठोस मकसद फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
गिरफ्तारी और जब्ती के बावजूद कारण अधूरा
पुलिस ने इस हत्याकांड में:
शूटर उमेश यादव को मालसलामी क्षेत्र से
और साजिशकर्ता अशोक शाहू को छज्जूबाग स्थित एक अपार्टमेंट से
गिरफ्तार किया। दोनों ने हत्या में अपनी भूमिका स्वीकार की है।
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पूछताछ में सामने आया कि हत्या के लिए चार लाख रुपये की सुपारी दी गई थी, जिसमें से ₹50,000 एडवांस और शेष ₹3.5 लाख हत्या के अगले दिन मरीन ड्राइव पर सौंपे गए। शूटर से पिस्टल, मैगजीन, कारतूस और नगदी भी बरामद की गई है। साजिशकर्ता अशोक शाहू के पास से भी हथियार, कैश और विवादित दस्तावेज मिले हैं।
लेकिन इतनी बड़ी साजिश रचने के पीछे सटीक उद्देश्य क्या था — यह अब भी पुलिस के लिए रहस्य बना हुआ है।
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संभावित कारण: ज़मीन विवाद या पुराना लेन-देन?
डीजीपी ने प्रथम दृष्टया जमीन विवाद को हत्या की वजह बताया है। साथ ही कुछ ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग बरामद हुए हैं जिनमें गोपाल खेमका और अशोक शाहू के बीच लेन-देन को लेकर विवाद की बातें सामने आई हैं।
इसके अलावा, बांकीपुर क्लब से जुड़ा आपसी तनाव और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा भी संभावित कारणों में गिना जा रहा है। पर इनमें से कोई भी एंगल अभी पूरी तरह से पुष्ट नहीं हुआ है।
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राजा’ का एनकाउंटर: हथियार सप्लायर की भूमिका और मुठभेड़ में मौत
डीजीपी ने बताया कि शूटर उमेश यादव को जब हत्या की सुपारी मिली, तो उसने पहले विकास उर्फ राजा से संपर्क किया था। राजा ने काम करने के लिए वही चार लाख मांगे जो सुपारी की रकम थी।
इस पर उमेश ने खुद हत्या को अंजाम देने का निर्णय लिया और राजा से ही हथियार लिया।
पुलिस ने राजा को सोमवार को गिरफ्तार किया और उसकी निशानदेही पर मंगलवार सुबह उसे हथियार की बरामदगी के लिए एक स्थान पर ले जाया गया।
लेकिन वहाँ पहुँचते ही राजा ने छिपे हुए हथियार निकालकर पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में की गई पुलिस फायरिंग में राजा मारा गया।
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इस मुठभेड़ ने इस हत्याकांड को और भी सनसनीखेज बना दिया है।
अशोक शाहू का आपराधिक इतिहास और संदेह गहराता है
डीजीपी ने जानकारी दी कि अशोक शाहू पूर्व में भी मनोज कमलिया हत्याकांड जैसे मामलों में संदिग्ध रह चुका है। उसके पास से बरामद ऑडियो क्लिप्स और दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
इसके बावजूद, इतनी योजनाबद्ध हत्या के पीछे कौन-सी अंतिम चिंगारी थी जिसने इस अपराध को जन्म दिया — यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।
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विश्लेषण: गिरफ्तारी हुई, लेकिन न्याय की राह अधूरी
इस पूरे मामले में तकनीकी जांच, पूछताछ और भौतिक साक्ष्य के जरिए पुलिस ने अहम गिरफ्तारियाँ की हैं, परंतु जब तक हत्या का ‘ठोस कारण’ सामने नहीं आता, तब तक यह जांच अधूरी मानी जाएगी।
एक प्रतिष्ठित व्यवसायी की हत्या अगर केवल ‘व्यक्तिगत रंजिश’ या ‘जमीन विवाद’ तक सीमित थी, तो फिर यह अपराध इतनी पेशेवर योजना के साथ क्यों किया गया?
कानून व्यवस्था के लिहाज से यह भी ज़रूरी है कि साजिश के पीछे के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भ पूरी पारदर्शिता से सामने आएँ, जिससे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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भले ही गोली चलाने वाला और सुपारी देने वाला गिरफ्त में है, पर जब तक मंशा स्पष्ट नहीं, तब तक यह मामला अधूरा सच ही कहा जाएगा। पटना पुलिस के लिए यह जांच अब मोटिव की परतें खोलने की अगली चुनौती बन चुकी है।