पटना, 15 जुलाई 2025 — राज्य सरकार द्वारा शहरी सुविधाओं को आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम (बुडको) द्वारा पूरे राज्य में 40 विद्युत शवदाह गृहों का निर्माण कराया जा रहा है, जिनमें से 21 शवदाह गृहों का निर्माण अगस्त तक पूर्ण होकर आम नागरिकों के लिए खोल दिया जाएगा।
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इन शवदाह गृहों में विद्युत एवं पारंपरिक दोनों प्रकार की शवदाह सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिससे नागरिकों को अंतिम संस्कार के दौरान सुविधा और स्वच्छ वातावरण मिल सकेगा।
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बांस घाट पर 89.40 करोड़ की लागत से तैयार हो रहा आधुनिक शवदाह गृह
राजधानी पटना में बांस घाट के पास लगभग 89.40 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक शवदाह गृह तैयार किया जा रहा है, जो अब अपने अंतिम चरण में है। यह परियोजना राजधानी को स्वच्छ एवं व्यवस्थित अंतिम संस्कार सुविधा प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है।
उत्तर और दक्षिण बिहार के 20 जिलों में कार्य अंतिम चरण में
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बुडको द्वारा उत्तर बिहार के 13 और दक्षिण बिहार के 7 जिलों में शवदाह गृहों का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी है। जिन जिलों में ये सुविधाएं अगस्त तक उपलब्ध होंगी, उनकी विस्तृत सूची इस प्रकार है:
उत्तर बिहार के जिले और लागत:
छपरा – ₹3.65 करोड़
गोपालगंज – ₹3.58 करोड़
किशनगंज – ₹4.60 करोड़
दरभंगा – ₹8.20 करोड़
सिवान – ₹8.07 करोड़
अररिया – ₹4.25 करोड़
कटिहार – ₹3.85 करोड़
पश्चिम चंपारण – ₹5.97 करोड़
सहरसा – ₹8.38 करोड़
समस्तीपुर – ₹1.76 करोड़
बेगूसराय – ₹8.91 करोड़
खगड़िया – ₹4.69 करोड़
दक्षिण बिहार के जिले और लागत:
जहानाबाद – ₹7.89 करोड़
अरवल – ₹3.91 करोड़
रोहतास – ₹4.06 करोड़
नालंदा – ₹7.70 करोड़
गया – ₹3.36 करोड़
भागलपुर – ₹9.38 करोड़
आरा (भोजपुर) – ₹3.77 करोड़
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प्रबंधन और निगरानी पर विशेष जोर
बुडको के प्रबंध निदेशक श्री अनिमेष कुमार पराशर स्वयं परियोजनाओं की सतत समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दैनिक प्रगति की रिपोर्टिंग और निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, जिससे निर्माण कार्य समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा हो सके।
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यह पहल बिहार को प्रदूषण मुक्त, व्यवस्थित और नागरिक सुविधाओं से युक्त राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विद्युत शवदाह गृहों की यह श्रृंखला जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण को बल देगी, वहीं दूसरी ओर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को भी अधिक सम्मानजनक, सुलभ और वैज्ञानिक बनाएगी।