Sunday, July 27, 2025
HomeTop Stories21 साल बाद बदला इतिहास,विशाल सिंह बिस्कोमान के अध्यक्ष और महेश राय...

21 साल बाद बदला इतिहास,विशाल सिंह बिस्कोमान के अध्यक्ष और महेश राय उपाध्यक्ष बने।

21 साल बाद बदला इतिहास,विशाल सिंह बिस्कोमान के अध्यक्ष और महेश राय उपाध्यक्ष बने।

न्यूज लहर ब्यूरो:3 जुलाई 2025

झारखंड हाइकोर्ट के फैसले ने बिहार की सबसे बड़ी कोपरेटिव संस्था बिस्कोमान के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव परिणाम पर रोक हटा दिया।हाई कोर्ट के फैसले के आलोक में पटना के डी एम एस पी त्यागराजन ने चुनाव परिणाम की घोषणा कर दी इसके  साथ ही 21 साल बाद बदल गया इतिहास,विशाल सिंह बिस्कोमान के अध्यक्ष और महेश राय उपाध्यक्ष बने।

बिस्कोमान को मिला नया नेतृत्व — परंपरा और अनुभव की युति से बना भविष्य का रास्ता

बिहार के सहकारिता आंदोलन में एक नया अध्याय जुड़ गया है। केन्द्रीय सहकारिता निर्वाचन प्राधिकार के तत्वावधान में शुक्रवार को पटना समाहरणालय में बिस्कोमान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव संपन्न हुआ। यह चुनाव न केवल पदों की प्रतिस्पर्धा था, बल्कि नेतृत्व की विरासत, अनुभव और जनता के विश्वास की परीक्षा भी।

अध्यक्ष पद के लिए NCCF के वर्तमान अध्यक्ष और बिस्कोमान के संस्थापक स्व. तपेश्वर सिंह के पौत्र श्री विशाल सिंह ने जीत हासिल कर यह सिद्ध कर दिया कि परंपरा तभी सार्थक होती है जब वह नवोन्मेष और जनसेवा के संकल्प से जुड़ी हो। विशाल सिंह की जीत को सहकारी क्षेत्र में एक युवा, दूरदर्शी और प्रतिबद्ध नेतृत्व के रूप में देखा जा रहा है, जो अपने दादा की विरासत को नए युग की ज़रूरतों के साथ जोड़ने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

वहीं उपाध्यक्ष पद पर गोपालगंज सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के चेयरमैन महेश राय निर्वाचित हुए हैं। महेश राय सहकारी क्षेत्र के जमीनी नेतृत्व के प्रतीक हैं। वे पूर्व सांसद, बिस्कोमान के सह संस्थापक और गोपालगंज की प्रतिष्ठित शख्सियत स्व. नगीना राय के पुत्र हैं। उनकी जीत यह दर्शाती है कि जमीनी कार्य, संगठन कौशल और जनसमर्थन आज भी लोकतांत्रिक संस्थाओं में सबसे बड़ा आधार हैं।

यह परिणाम बिस्कोमान के भविष्य की दिशा तय करता है — जहां एक ओर परंपरा की गहराई है, तो दूसरी ओर संगठनात्मक अनुभव की ऊँचाई। दोनों निर्वाचित पदाधिकारी सहकारिता आंदोलन को नई ऊर्जा, पारदर्शिता और जनभागीदारी के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं।

बिहार के सहकारी इतिहास में यह दिन लंबे समय तक याद किया जाएगा — जब नेतृत्व ने विरासत और विचार, दोनों को संतुलित किया।

 

यह भी पढ़े

अन्य खबरे