मुंगेर लोकसभा में वर्तमान सांसद ललन बाबू की घेराबंदी या जीत की राह आसान
न्यूज लहर डेस्क: बिहार की राजनीति में खेला जारी है। हालांकि किसी गठबंधन ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है परंतु उम्मीदवारों की दावेदारी और तैयारी दोनों खेमे में जारी है।ताजा घटनाक्रम मुंगेर संसदीय क्षेत्र से जुड़ा है जहां से नीतीश कुमार के खासमखास और जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की उम्मीदवारी पक्की है। मुंगेर लोकसभा से महागठबंधन में किस दल को सीट मिलेगी यह भी निश्चित नहीं है परंतु गठबंधन की ओर से एक मजबूत दावेदार का नाम सामने आ रहा है।यह दावेदारी है कुख्यात सरगना और नवादा जिले के निवासी अशोक महतो का। अशोक महतो बिहार खासकर मगध क्षेत्र के नवादा ,शेखपुरा जिलों में आतंक का पर्याय हुआ करते थे।लालू प्रसाद के शासन काल में बालू और गिट्टी के खनन पर वर्चस्व को लेकर अपराधी सरगनाओं के बीच खूनी रंजिश का लंबा दौर चला था।वैसे यह जंग तो अपराधी सरगना के स्वार्थ और आर्थिक साम्राज्य पर कब्जे की थी पर इस लड़ाई ने जातीय गोलबंदी का रूप ले लिया था।इस जंग के दो खलनायक थे एक अखिलेश सरदार जिन्हें भूमिहारों और सवर्णों का सहयोग था तो दूसरा खेमा अशोक महतो का था जिसके पीछे उसकी जाति के धानुक,कुर्मी,यादव और अन्य पिछड़ी जातियां खड़ी थी।इस खूनी लड़ाई में कई लोग मारे गए कुछ निर्दोष भी मारे गए।1998 से 2006 के मध्य चले इस जंग में नवादा,शेखपुरा,नालंदा जिले के 200 लोगों की हत्याएं हुई।
कहा जाता है की अखिलेश सिंह के गिरोह द्वारा अशोक महतो के बालू ठेके पर काम कर रहे 7 मजदूरों की हत्या कर दी।इस घटना से बौखलाए अशोक महतो ने इस मामले अखिलेश सिंह के ससुराल अपसढ़ गांव में अशोक महतो के गिरोह ने एक खूनी नरसंहार को अंजाम दिया।इस नरसंहार में 5 वर्ष के बच्चे ,अखिलेश सिंह के ससुर सहित 5 लोग मारे गए थे।इस जघन्य नरसंहार के बाद अशोक महतो का आतंक वरसलीगंज सहित पूरे नवादा और सीमावर्ती शेखपुरा,नालंदा तक फैल गया।
अशोक महतो पर पूर्व सांसद और दबंग नेता राजो सिंह की हत्या का भी आरोप लगा था और इसकी गिरफ्तारी भी हुई।2002 में इसने अपने सहयोगी पिंटू सिंह के सहयोग से जेल ब्रेक कांड को अंजाम दिया और फरार हो गया।फिर इसके नेतृत्व में शेखपुरा के जदयू विधायक रणधीर सोनी के काफिले पर हमला बोला जिसमें 11 लोग मारे गए।
अशोक महतो की दरिंदगी और आतंक के किस्से इतने मशहूर हो गए की इसके ऊपर एक वेब सीरीज खाकी बिहार चैप्टर भी बनी थी।
बाद में अशोक महतो जेल गए और एक मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा भी हो गई।वो सत्रह वर्षों तक जेल की सजा काटने के बाद कुछ महीने पहले ही बाहर निकले।रिहाई के बाद जेल गेट पर उनका भव्य स्वागत हुआ उनके समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया था।सैंकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ वो अपने घर लौटे।जेल से लौटने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा हिलोड़ मार रही थी।
इस क्रम में वो लालू प्रसाद यादव से मिले और नवादा लोकसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई पर सूत्र बताते हैं की लालू प्रसाद ने नवादा के लिए साफ मना कर दिया। उस वक्त बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तो अशोक महतो को कोई विकल्प नहीं सूझ रहा था जैसे ही जदयू एनडीए में शामिल हुआ तो अशोक महतो ने लालू प्रसाद के दरबार में फिर दस्तक दी। सूत्र बताते हैं कि इस बार लालू प्रसाद जी ने कहा कि तुम तो चुनाव लड़ नहीं सकते ,तुम किसी लड़की से शादी कर लो तो तुम्हारी पत्नी को राजद से टिकट दे देंगे।लालू प्रसाद के इस कथन के बाद अशोक महतो के लिए लड़की की तलाश शुरू हुई जो अंततः शादी के मुकाम तक पहुंच गई।
कहा जा रहा है की अशोक महतो ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से विवाह को अंजाम दिया है।खुद धानुक जाति से हैं,पत्नी कुर्मी जाति से आती है।उनकी पत्नी ने एलएलबी किया है और दिल्ली में अच्छी भली नौकरी कर रही थी।फर्राटे से अंग्रेजी बोलती हैं और उनका मायका मुंगेर लोकसभा के बरियारपुर गांव में पड़ता है।
यदि लालू यादव सचमुच अशोक महतो की पत्नी को टिकट देते हैं तो जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन बाबू को कड़ी टक्कर मिलने वाली है।मुंगेर लोकसभा के जातीय समीकरण को देखें तो इसमें सबसे ज्यादा भूमिहार वोटर हैं उसके बाद यादवों और तीसरे नंबर पर कोयरी,कुर्मी,धानुक हैं तो इस क्षेत्र में मुसलमानों की तादाद भी अच्छी है। यूं तो कोयरी,कुर्मी,धानुक नीतीश कुमार के कोर वोटर माने जाते हैं लेकिन अशोक महतो के मैदान में आ जाने से या तो सारे कोयरी,कुर्मी,धानुक अशोक महतो की पत्नी को वोट करेंगे या इन मतों में विभाजन होगा।यदि कोयरी,कुर्मी,धानुक,यादव और मुस्लिम मतदाताओं ने अशोक महतो को एक मुश्त समर्थन दे दिया तो राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन बाबू को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।इधर उनके जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते लालू प्रसाद से उनकी नजदीकियां और तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के प्रयासों से भाजपाई भूमिहार और नीतीश समर्थक जातियां पहले से नाराज बताए जाते हैं तो ऐसे में कड़ा मुकाबला होने की पूरी संभावना है।अशोक महतो के चुनावी समर में कूदने से मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव और भी दिलचस्प हो गए हैं।
फिलहाल हमें महागठबंधन की ओर से टिकट वितरण तक इंतजार करना पड़ेगा।